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KGMU में जल्द खुलेगा पैरामेडिकल साइंसेज कॉलेज, प्रो. के.के. सिंह बने पहले डीन

King George Medical University: लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) में जल्द ही कॉलेज ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज की शुरुआत होगी। कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने आदेश जारी कर प्रो. के.के. सिंह को पैरामेडिकल संकाय का डीन नियुक्त किया है। यह कॉलेज 1.8 एकड़ जमीन पर राजकीय जुबिली इंटर कॉलेज के पास बनाया जाएगा।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Aug 18, 2025

KGMU Lucknow फोटो सोर्स : ritesh singh

KGMU Lucknow फोटो सोर्स : ritesh singh

KGMU to Open College of Paramedical Sciences: उत्तर भारत के प्रमुख चिकित्सा संस्थान किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) में अब मेडिकल शिक्षा का दायरा और बढ़ने जा रहा है। KGMU प्रशासन ने कॉलेज ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज की स्थापना की औपचारिक घोषणा कर दी है। यह कॉलेज न केवल पैरामेडिकल शिक्षा में उत्कृष्टता का नया केंद्र बनेगा, बल्कि उत्तर प्रदेश और आसपास के राज्यों में स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में प्रशिक्षित तकनीकी जनशक्ति तैयार करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

प्रो. के.के. सिंह को सौंपी गई जिम्मेदारी

कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने औपचारिक आदेश जारी कर प्रो. के.के. सिंह को पैरामेडिकल संकाय का पहला डीन नियुक्त किया है। वे तत्काल प्रभाव से अपनी जिम्मेदारी संभालेंगे। प्रो. के.के. सिंह पहले से ही KGMU शिक्षक संघ के अध्यक्ष और मीडिया सेल के प्रमुख हैं। उनके पास प्रशासनिक अनुभव और शैक्षणिक नेतृत्व दोनों का लंबा अनुभव है।

प्रो. सिंह का कहना है,“KGMU में पैरामेडिकल साइंसेज कॉलेज की स्थापना ऐतिहासिक कदम है। स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने के लिए प्रशिक्षित पैरामेडिकल स्टाफ की बड़ी जरूरत है। हम विश्वस्तरीय सुविधाओं के साथ ऐसा संस्थान बनाएंगे जो पूरे उत्तर भारत में रोल मॉडल साबित होगा।”

जुबिली इंटर कॉलेज के पास बनेगा नया कैंपस

कॉलेज का निर्माण लखनऊ के राजकीय जुबिली इंटर कॉलेज के पास किया जाएगा। इसके लिए लगभग 1.8 एकड़ जमीन आवंटित की गई है। निर्माण कार्य की तैयारियां तेज कर दी गई हैं। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, भवन का डिजाइन आधुनिक जरूरतों के हिसाब से तैयार किया जा रहा है।

क्यों जरूरी है पैरामेडिकल कॉलेज

  • स्वास्थ्य सेवाओं में बढ़ती मांग: डॉक्टरों और नर्सों के साथ प्रशिक्षित पैरामेडिकल स्टाफ की आवश्यकता लगातार बढ़ रही है।
  • ग्रामीण व अर्ध शहरी क्षेत्रों पर फोकस: प्रदेश के दूरदराज इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए पैरामेडिकल शिक्षा अहम साबित होगी।
  • रोजगार के अवसर: इस कॉलेज के शुरू होने से सैकड़ों छात्रों को रोजगारोन्मुख पाठ्यक्रम मिलेंगे, जिससे स्वास्थ्य क्षेत्र में युवाओं के लिए नए अवसर पैदा होंगे।
  • आधुनिक तकनीक का प्रशिक्षण: मेडिकल उपकरणों और डायग्नोस्टिक सेवाओं के संचालन के लिए प्रशिक्षित तकनीशियनों की आपूर्ति बढ़ेगी।

पाठ्यक्रम और संरचना

हालांकि प्रारंभिक रूपरेखा अभी तैयार हो रही है, लेकिन कॉलेज में डिप्लोमा, बैचलर और मास्टर स्तर के कई पैरामेडिकल कोर्स चलाने की योजना है। इनमें प्रमुख होंगे:

  • रेडियोलॉजी और इमेजिंग
  • लैब टेक्नोलॉजी
  • ऑपरेशन थिएटर टेक्नोलॉजी
  • कार्डियक और इमरजेंसी टेक्नोलॉजी
  • डायलिसिस टेक्नोलॉजी
  • फिजियोथेरेपी और रिहैबिलिटेशन टेक्नोलॉजी

KGMU का बढ़ता दायरा

  • पिछले कुछ वर्षों में KGMU ने मेडिकल शिक्षा और शोध के क्षेत्र में कई नई पहलें की हैं:
  • सुपर स्पेशियलिटी विभागों का विस्तार
  • उच्च स्तरीय शोध परियोजनाएँ
  • आधुनिक प्रयोगशालाओं और सिमुलेशन लैब की स्थापना
  • अब पैरामेडिकल साइंसेज कॉलेज जोड़ने से KGMU उत्तर भारत में एक समग्र मेडिकल शिक्षा केंद्र बन जाएगा।

कुलपति का बयान

कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने कहा,“हमारा लक्ष्य स्वास्थ्य सेवाओं में गुणवत्ता सुधारना और प्रशिक्षित मानव संसाधन तैयार करना है। पैरामेडिकल साइंसेज कॉलेज KGMU की एक बड़ी उपलब्धि होगी। प्रो. के.के. सिंह के नेतृत्व में हम इसे जल्द से जल्द शुरू करेंगे।”

शिक्षक संघ व छात्र समुदाय की प्रतिक्रिया

  • KGMU शिक्षक संघ ने इसे ऐतिहासिक कदम बताया है। संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि पैरामेडिकल कॉलेज की स्थापना से संस्थान की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय साख और मजबूत होगी।
  • छात्रों में उत्साह: मेडिकल और नॉन-मेडिकल पृष्ठभूमि के छात्र इस फैसले से बेहद खुश हैं। उन्हें उम्मीद है कि नए कोर्स के जरिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और प्रशिक्षण का स्तर विश्वस्तरीय होगा।

भविष्य की योजनाएं

  • सूत्रों के अनुसार आने वाले वर्षों में कॉलेज को अलग प्रशासनिक भवन, हॉस्टल, लाइब्रेरी और अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं से लैस किया जाएगा।
  • पहले चरण में 100 से 150 सीटों के साथ कक्षाएं शुरू होने की संभावना है।
  • इसके बाद कॉलेज को स्नातकोत्तर स्तर तक विकसित किया जाएगा।

लखनऊ के स्वास्थ्य विशेषज्ञों और आम नागरिकों ने इस फैसले का स्वागत किया है। उनका कहना है कि प्रशिक्षित पैरामेडिकल स्टाफ की कमी कई बार मरीजों के इलाज में बाधा बनती है। नए कॉलेज से यह कमी काफी हद तक दूर हो जाएगी।