
Akhilesh yadav
उत्तर प्रदेश की दो लोकसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं। आजमगढ़ उपचुनाव और रामपुर उपचुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी परेशान है कि करे तो क्या करे। समाजवादी पार्टी ने 2019 में आजमगढ़ और रामपुर दोनों सीटों पर जीत हासिल की थी। अखिलेश यादव ने आजमगढ़ लोकसभा सीट जीती, जबकि मोहम्मद आजम खान ने रामपुर में सपा का झंडा बुलंद किया। पर इस साल मार्च में विधानसभा चुनाव 2022 जीतकर अपनी संसदीय सीटों से इस्तीफा दे दिया है। आगामी उपचुनावों में भाजपा और बसपा ने आजमगढ़ में सपा को धूल चटाने के लिए बड़ा दांव खेला है। यहां मुस्लिम और यादव की अच्छी आबादी है। इसे सपा का गढ़ माना जाता है। बसपा ने मुस्लिम-दलित वोटों को ध्यान में रखते हुए आजमगढ़ से शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को मैदान में उतारा है। जमाली इस निर्वाचन क्षेत्र में एक लोकप्रिय मुस्लिम नेता हैं और अगर उन्हें अपने समुदाय के साथ-साथ दलितों का भी समर्थन मिलता है, तो वे सपा की राह में कांटें बो सकते हैं।
भाजपा की नजर यादव वोट पर
आजमगढ़ के यादव वोटों पर भाजपा की जनर है। इसलिए भाजपा एक दांव चला। लोकप्रिय भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ को मैदान में उतारा है। निरहुआ पहले ही अभियान शुरू कर चुके हैं। भाजपा सूत्रों की माने तो भोजपुरी के दो अन्य सितारे सांसद मनोज तिवारी और रवि किशन भी निरहुआ के लिए प्रचार करेंगे। निरहुआ का अभियान इस बात पर केंद्रित है कि अखिलेश यादव ने आजमगढ़ के लोगों को उनके हाल पर 'छोड़ दिया'।
डिंपल यादव को नहीं लड़ेंगी उपचुनाव
भाजपा ने आजमगढ़ से दिनेश लाल यादव निरहुआ और बसपा ने गुड्डू जमाली को मैदान में उतारा हैं। पर आश्चर्य में हैं कि समाजवादी पार्टी ने अभी तक अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है। पार्टी सूत्रों ने पुष्टि की है कि, डिंपल यादव, अखिलेश यादव की सीट से चुनाव नहीं लड़ेंगी। पार्टी के एक पदाधिकारी ने बताया कि, इस वक्त आजमगढ़ एक 'सुरक्षित' सीट नहीं है। इसलिए पार्टी डिंपल यादव को चुनावी दंगल में उतारना नहीं चाहेगी। सपा विधायक रमाकांत यादव के लोकसभा उपचुनाव लड़ने की भी चर्चा है, पर अभी तक इसकी पुष्टि नहीं की है।
भाजपा ने खेला दांव
रामपुर से भाजपा ने मोहम्मद आजम खान के पूर्व अनुचर घनश्याम लोधी को मैदान में उतारा है। बहुजन समाज पार्टी ने पहले ही रामपुर से अपना उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला किया है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, समाजवादी पार्टी को डर है कि आजमगढ़ और रामपुर या उनमें से एक को भी हारने से यह संदेश जाएगा कि मुसलमान पार्टी छोड़ रहे हैं और इसका असर 2024 के लोकसभा चुनावों पर पड़ेगा।
तंज़ीन फातिमा भी नहीं लड़ेंगी चुनाव
मोहम्मद आजम खान की पत्नी तंज़ीन फातिमा के उपचुनाव लड़ने की संभावना नहीं है क्योंकि उन्होंने अभी तक नामांकन फॉर्म और नामांकन नहीं खरीदा है। सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस उपचुनाव नहीं लड़ेगी।
Published on:
05 Jun 2022 05:42 pm
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