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BSP Rally: 9 साल बाद मायावती का शक्ति प्रदर्शन, पांच लाख से अधिक भीड़ ने दिखाई “नीली ताकत”

Blue Wave In Lucknow: लखनऊ में बसपा सुप्रीमो मायावती ने नौ साल बाद जबर्दस्त शक्ति प्रदर्शन किया। कांशीराम स्मारक से उठी “नीली लहर” ने राजधानी को नीला कर दिया। रैली में लाखों समर्थकों की भीड़ उमड़ी। मायावती ने भाजपा और सपा दोनों पर निशाना साधते हुए बहुजन एकता और राजनीतिक पुनरुत्थान का बिगुल फूंका।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Oct 10, 2025

लखनऊ नीला हुआ- मायावती की रैली ने मचाई सियासी हलचल, सपा-भाजपा में बढ़ी बेचैनी (फोटो सोर्स : Whatsapp )

लखनऊ नीला हुआ- मायावती की रैली ने मचाई सियासी हलचल, सपा-भाजपा में बढ़ी बेचैनी (फोटो सोर्स : Whatsapp )

BSP Rally Lucknow: राजधानी लखनऊ गुरुवार को पूरी तरह नीले रंग में रंगा नजर आया। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने कांशीराम स्मारक स्थल पर नौ साल बाद आयोजित अपनी विशाल “महामाया रैली” से एक बार फिर अपनी राजनीतिक उपस्थिति का अहसास करा दिया। मायावती अपने भतीजे आकाश आनंद के साथ मंच पर पहुंचीं और हाथ हिलाकर समर्थकों का अभिवादन किया। रैली में उमड़ी भीड़ ने बीते कई वर्षों के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए।

बसपा नेताओं ने दावा किया कि करीब 5 लाख से अधिक कार्यकर्ता इस रैली में शामिल हुए। कांशीराम स्मारक से लेकर अवध चौराहा, तेली बाग, आलमबाग और तिकुनिया तक लोगों का सैलाब उमड़ा रहा। राजधानी के कई इलाकों में ट्रैफिक ठप हो गया और नीले झंडों से पूरा लखनऊ सज गया।

मायावती की हुंकार – “बहुजन समाज को सत्ता की मास्टर चाबी वापस लेनी होगी”

अपने 45 मिनट लंबे संबोधन में मायावती ने सपा, भाजपा और कांग्रेस-तीनों पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि बहुजन समाज को अब किसी के भरोसे नहीं रहना चाहिए। हमें बाबा साहेब अंबेडकर और कांशीराम का सपना साकार करना है। सत्ता की मास्टर चाबी हमें खुद अपने हाथ में लेनी होगी। मायावती ने विशेष रूप से मुस्लिम समाज को संबोधित करते हुए कहा कि “अब समय आ गया है कि दलित और मुस्लिम एकजुट होकर भाजपा और सपा की कथनी-करनी की राजनीति का जवाब दें।” उनके इस बयान ने सपा खेमे में बेचैनी बढ़ा दी है।

 लखनऊ की सड़कों पर नीला समंदर -9 साल बाद सबसे बड़ी रैली

राजधानी लखनऊ में बसपा की यह रैली पिछले नौ वर्षों में सबसे बड़ी बताई जा रही है। आखिरी बार 2016 में मायावती ने इतनी बड़ी भीड़ जुटाई थी। इस बार नज़ारा वैसा ही था - चारों ओर नीले झंडे, नीले बैनर और “जय भीम, जय भारत” के नारे। रैली स्थल के बाहर कार्यकर्ताओं ने जयकारों से माहौल को जोशीला बना दिया। राजनीतिक विश्लेषक डॉ. ए.के. मिश्रा ने कहा कि यह रैली बसपा के संगठनात्मक पुनर्जागरण का संकेत है। मायावती ने दिखा दिया कि बसपा का कैडर अभी भी जिंदा और वफादार है।”

सपा और भाजपा दोनों के लिए नई चुनौती

  • इस शक्ति प्रदर्शन ने सपा और भाजपा दोनों को चिंतित कर दिया है।
  • सपा को डर है कि मुस्लिम वोट बैंक का बड़ा हिस्सा बसपा की ओर खिसक सकता है।
  • वहीं भाजपा को यह आशंका है कि बसपा दलित मतदाताओं में फिर से अपनी पकड़ मजबूत कर लेगी।
  • एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि मायावती की रैली से साफ है कि वे अब फिर से एक्टिव मोड में हैं। अगर वे मुस्लिम और दलित वोट को जोड़ लेती हैं, तो 2027 के विधानसभा चुनाव में समीकरण बदल सकते हैं।

भीड़ से लेकर अनुशासन तक - बसपा कार्यकर्ताओं का “शक्ति प्रदर्शन”

  • बसपा की यह रैली केवल भीड़ का प्रदर्शन नहीं थी, बल्कि अनुशासन और संगठन की ताकत का भी परिचय थी।
  • पार्टी कार्यकर्ता सुबह से ही अपने-अपने जिलों से बसों, ट्रेनों और ट्रकों में सवार होकर लखनऊ पहुंचे।
  • रैली स्थल पर महिलाओं और युवाओं की भी बड़ी संख्या दिखाई दी।
  • बसपा कार्यकर्ता जय भीम, जय भारत, महामाया अमर रहें और बहुजन एकता जिंदाबाद के नारे लगाते हुए रैली स्थल की ओर बढ़ रहे थे।

मायावती ने सपा और भाजपा दोनों पर साधा निशाना

मायावती ने अपने भाषण में सपा पर तंज कसते हुए कहा कि सपा की राजनीति “परिवार और जातिवाद” तक सीमित है, जबकि भाजपा केवल “धर्म और जाति” की राजनीति करती है। उन्होंने कहा कि हम न किसी के विरोध में बने हैं, न किसी गठबंधन की मोहताज हैं। हमारा उद्देश्य है - समानता, सम्मान और भागीदारी आधारित राजनीति। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ने दलितों और पिछड़ों को केवल वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया है।

रैली का असर -यूपी की राजनीति में ‘ब्लू वेव’ की चर्चा

राजनीतिक गलियारों में अब यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या बसपा एक बार फिर “किंगमेकर” बन सकती है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, मायावती की इस रैली को देखने के बाद भाजपा और सपा दोनों ने अपने-अपने रणनीतिकारों के साथ मीटिंग बुलाई है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अगर बसपा मुस्लिम समुदाय में अपनी पकड़ बढ़ाने में सफल रही, तो वह 2027 के चुनावों में सपा की मुख्य प्रतिद्वंद्वी बन सकती है।

कांशीराम स्मारक से निकली ‘महामाया रैली’ - प्रतीकात्मक पुनरुत्थान

यह रैली केवल राजनीतिक आयोजन नहीं थी, बल्कि बसपा के “पुनर्जागरण” का प्रतीक भी मानी जा रही है। कई वरिष्ठ बसपा नेता जिन्होंने हाल के वर्षों में निष्क्रियता दिखाई थी, वे भी मंच पर मौजूद रहे। मायावती ने अपने भाषण के अंत में कहा कि बहुजन समाज पार्टी का मिशन अब रुकने वाला नहीं। बाबा साहेब और कांशीराम का सपना हम सब मिलकर पूरा करेंगे।

रैली के बाद का माहौल - “जय भीम” से गूंजा लखनऊ

रैली के बाद लखनऊ के विभिन्न हिस्सों में बसपा कार्यकर्ता झंडे और बैनर लेकर सड़कों पर निकले। स्मारक स्थल के बाहर लगी नीली लाइटें और बसपा के झंडों से शहर का हर कोना “नीला” दिख रहा था। मायावती के भाषण के बाद कार्यकर्ताओं ने उन्हें “दलितों की शेरनी” और “बहुजन नायिका” कहकर संबोधित किया। बसपा की यह रैली दिखाती है कि मायावती अभी भी यूपी की राजनीति की सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक हैं। सपा और भाजपा दोनों को अपने-अपने वोट बैंक पर नए सिरे से रणनीति बनानी होगी। दलित-मुस्लिम एकता की संभावनाओं ने राजनीतिक समीकरणों को फिर से जीवंत कर दिया है।