
यूपी में कांग्रेस की बढ़ी मुसीबत, बड़ी संख्या में कांग्रेसी नेता छोड़ सकते हैं पार्टी
लखनऊ. लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Chunav 2019) में हार के बाद कांग्रेस पार्टी बेहद बुरे दौर से गुजर रही है। उत्तर प्रदेश में उसके अपने नेता ही एक के बाद एक पार्टी छोड़ते जा रहे हैं। इतना ही नहीं वह पार्टी की गाइडलाइन से हटकर बयानबाजी भी कर रहे हैं। कांग्रेस (Congress) को कमजोर करने की बची कसर भारतीय जनता पार्टी पूरी कर दे रही है। भाजपा (BJP) की नजर कांग्रेस के उन असंतुष्ट नेताओं पर है, जिनका मानना है कि अब जनता का भरोसा कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से हट गया है। इनमें से तमाम ऐसे नेता हैं, जो 2019 में कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़े थे। सूत्रों की मानें तो बीजेपी प्रदेश नेतृत्व से अंतिम दौर की इनकी बात चल रही है। यह नेता कभी भी बीजेपी का दामन थाम सकते हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के सामने अपना कुनबा बचाये रखना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है।
बीते दिनों राज्यसभा सांसद व सुलतानपुर से लोकसभा चुनाव लड़े संजय सिंह (Sanjay Singh) ने कांग्रेस पार्टी से किनारा करते हुए भाजपा की सदस्यता ले ली थी। संजय सिंह की पत्नी दूसरी पत्नी अमिता सिंह भी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गईं। बुधवार को कांग्रेस महासचिव एनपी सिंह (NP Singh) ने पद के साथ-साथ पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया। वह जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाये जाने को लेकर पार्टी स्टैंड से नाराज बताये जा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो वह जल्द ही भाजपा में शामिल हो सकते हैं।
अनुच्छेद 370 पर नेताओं की राय पार्टी से अलग
केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 (Article 370) हटाने के मसले पर पार्टी की राय से अलग स्टैंड रखने वाले एनपी सिंह ऐसा करने वाले इकलौते नेता नहीं हैं। उनसे पहले रायबरेली सदर से कांग्रेस विधायक अदिति सिंह (Aditi Singh) भी केंद्र सरकार के फैसले का समर्थन कर चुकी हैं। अदिति सिंह को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) का बेहद करीबी नेता माना जाता है। इनके अलावा लोकसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कांग्रेस प्रभारी रहे महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कश्मीर में अनुच्छेद 370 का समर्थन किया है। अदिति सिंह की तरह उन्होंने भी कहा कि यह राष्ट्रहित में लिया गया फैसला है, मैं इसका पूरी तरह से समर्थन करता हूं।
कांग्रेस के असंतुष्टों पर बीजेपी की नजर
उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा भाजपा मिशन 2022 की तैयारियों में जुटी हैं, लेकिन कांग्रेस पार्टी अब तक अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष तक ढूंढ नहीं पाई है। सोनभद्र नरसंहार कांड और उन्नाव केस में प्रियंका गांधी भले ही सक्रिय दिखीं, लेकिन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर पूरे सीन से ही गायब दिखे। लोकसभा चुनाव में हार के बाद से अब तक वह सिर्फ तीन दिन ही प्रदेश के दौरे पर रहे हैं। इन हालातों के बीच कांग्रेसी नेताओं में असंतुष्टि बढ़ती जा रही है। भाजपा सहित अन्य राजनीतिक दल अपने लिए इसे एक अवसर के तौर पर देख रहे हैं। इनमें से कई ऐसे नेताओं पर भाजपा की नजर है, जिन्हें कोई पद मिलते ही वह कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ले सकते हैं।
बेहद बुरे दौर से गुजर रही है कांग्रेस
उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस बेहद बुरे दौर में गुजर रही है। बीते आम चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता चुनाव हार गये थे। इनमें राहुल गांधी का भी नाम शामिल है। 2019 में कांग्रेस सिर्फ रायबरेली सीट ही जीत सकी थी, जिस पर सोनिया गांधी ने विजय का परचम लहराया था। 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सिर्फ सात विधायकों ही चुनाव जीत सके थे। इनमें से राकेश सिंह की सदस्यता खारिज करने की अर्जी खुद ही कांग्रेस दे चुकी है।
Updated on:
08 Aug 2019 07:43 pm
Published on:
08 Aug 2019 01:41 pm
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