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UP News : अतीक-अशरफ की हत्या नई बात नहीं, यूपी में पुलिस की कस्टडी में हत्याओं का ये रहा इतिहास

UP News : प्रयागराज में कुख्यात माफिया अतीक अहदम और अशरफ की पुलिस कस्टडी में हत्या नई बात नहीं है। उत्तर प्रदेश में पहले भी पुलिस कस्टडी में हत्याएं और मौतें होती रही हैं।

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लखनऊ

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Vishnu Bajpai

Apr 19, 2023

Atiq Ahmad Property

अतीक अहमद

UP News : प्रयागराज में कुख्यात माफिया अतीक अहदम और अशरफ की पुलिस कस्टडी में हत्या नई बात नहीं है। उत्तर प्रदेश में पहले भी पुलिस कस्टडी में हत्याएं और मौतें होती रही हैं। पांच साल के आंकडों पर गौर करें तो यूपी में पुलिस कस्टडी के दौरान कुल 41 मौतें हुई हैं। इनमें कुछ लोगों की हत्या की गई है। आइए आपको इनके बारे में डिटेल से बताते हैं।

20 सालों में 1,888 लोगों की पुलिस हिरासत में मौत
गृह मंत्रालय के तहत आने वाले नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में पिछले 20 सालों में 1,888 लोगों की पुलिस हिरासत में मौत हुई है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इन मामलों में पुलिसकर्मियों के खिलाफ 893 केस दर्ज किए गए और 358 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर हुई। हालांकि सिर्फ 26 पुलिसकर्मियों को सजा दी गई।

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उत्तर प्रदेश में 5 साल में पुलिस कस्टडी में 41 की मौत
यूपी के आंकडों पर नजर डालें तो साल 2017 से लेकर साल 2022 तक उत्तर प्रदेश में पुलिस कस्टडी के दौरान 41 लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें ज्यादातर लोगों की हत्या की गई है। जबकि कुछ बीमारी की वजह से मर गए। लोकसभा में गृह मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार साल 2017 में 10 लोगों की मौत हुई, साल 2018 में 12 लोगों की पुलिस कस्टडी के दौरान मौत हुई्।

इसके अलावा साल 2019 में 3, 2020 में 8 और 2021 में 8 लोगों की पुलिस कस्टडी में मौत हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने साल 1996 में एक केस की सुनवाई के दौरान आदेश दिया था। इसमें कहा गया था कि पुलिस कस्टडी में ‌किसी इंसान की मौत होती है तो इसे जघन्य अपराध माना जाएगा। इसके बावजूद पुलिस कस्टडी में लोगों की हत्याएं और मौतें हो रही हैं।

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जानिए यूपी में पुलिस कस्टडी के दौरान हत्या के 5 बड़े मामले

रफीक हत्याकांड: शनिवार शाम अतीक अहमद और अशरफ की मौत ने राज्य में लगभग सत्रह साल पहले हुए रफीक हत्याकांड की यादें ताजा कर दी है। कुख्यात डी-2 गिरोह के सरगना रफीक की भी पुलिस कस्टडी में हत्या कर दी गई थी।

दरअसल रफीक को एसटीएफ के सिपाही धमेंद्र सिंह चौहान के मर्डर के मामले में कोलकाता से गिरफ्तार कर रिमांड पर शहर लाया गया था। उसके बाद कोर्ट ने उसे एके-47 की बरामदगी के लिए जूही यार्ड के पास ले जाने का आदेश दिया। उसे वहां ले जाया जा ही रहा था कि रफीक पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाई गई और रफीक को पुलिस कस्टडी में ही मौत के घाट उतार दिया गया।

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राजेश टोंटा की हत्या: मथुरा में पुलिस कस्टडी के दौरान मारे जाने की दो घटनाएं हो चुकी है। पहली घटना थी 17 जनवरी साल 2015 की। उस वक्त ब्रजेश मावी की हत्या के मामले में कुख्यात राजेश टोंटा को मथुरा जेल में बंद किया गया था। जेल में राजेश टोंटा और मावी गिरोह के बीच गैंगवार हो गया। जेल में फायरिंग हुई और बंदी अक्षय सोलंकी की मौत हो गई। वहीं इस गैंगवार में राजेश टोंटा सहित दो लोग घायल हो गए। उसी दिन रात के लगभग 11:45 बजे घायल टोंटा को इलाज के लिए आगरा ले जाया जा रहा था तभी रास्ते में उसे गोलियों से भून दिया गया।

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मोहित की हत्या: साल 2012 में सपा नेत्री की हत्या के आरोप में जेल में बंद मोहित की पुलिस कस्टडी में हत्या कर दी गई थी। यह घटना उस वक्त घटी जब मोहित को पेशी के लिए ले जाया जा रहा था। उस वक्त इस हत्या का आरोप शूटर हरेंद्र राणा और उसके साथियों पर लगाया गया था।


लखनऊ में श्रवण साहू की हत्या: अपने बेटे को न्याय दिलाने के लिए लखनऊ के सआदतगंज में लड़ाई लड़ रहे एक पिता श्रवण साहू की पुलिस की सुरक्षा में हत्या कर दी गई थी। श्रवण पर जब हमला किया गया तब वह घर पर थे और उनके घर के बाहर पुलिसकर्मी सुरक्षा दे रहे थे। श्रवण पर कुछ बाइक सवार बदमाश आए और ताबड़तोड़ गोलियां चलाई जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई।

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अल्ताफ की मौत: 9 नवंबर 2021 को कोतवाली पुलिस की हिरासत में 20 साल के एक युवक अल्ताफ की मौत हो गई थी। पुलिस के अनुसार अल्ताफ के मौत की वजह आत्महत्या थी। उन्होंने बताया कि उसने हवालात के टॉयलेट में टंकी के पाइप पर जैकेट की डोरी से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी। हालांकि परिवार ने पुलिस पर हत्या करने का आरोप लगाए थे।