यूपी में रेमडेसिविर के जमाखोरों पर लगेगा रासुका, होगी सख्त कार्रवाई
जानिए किसने दी सलाहरिसर्च सोसायटी ऑफ एनेस्थीसिया एंड क्लिनिकल फार्मोकोलॉजी के सचिव और एसपीजीआई के आईसीयू एक्सपर्ट प्रोफेसर संदीप साहू का कहना है कि लोग रेमडेसिविर के पीछे न भागें। उन्होंने डॉक्टरों को भी सलाह दी है कि रोगी के तीमारदारों को इस इंजेक्शन की सलाह देकर उनकी परेशानी न बढ़ाएं क्योंकि बाजार में इस इंजेक्शन को लेकर मारा-मारी मची हुई है। वैसे भी इस दवा को विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने मान्यता नहीं दी है।
अब घर बैठे मुफ्त में होगा हर बीमारी का इलाज, शुरू हुई टेलीमेडिसिन ओपीडी, देखें डॉक्टर और नंबरों की लिस्ट
शोध में प्रमाणित कारगर है डेक्सामेथासोनडॉक्टर साहू का कहना है कि न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में हाल ही में प्रकाशित एक शोध में यह बात सामने आयी है कि डेक्सामेथासोन सांस संबंधी बीमारियों के उपचार में कारगर है। यह सबसे सस्ती और आसानी से मिलने वाली दवा है। यह दवा आरडीएस को रोकने में काफी कारगर है। खासतौर पर ऐसे मरीजों को डेक्सामेथासोन दवा दी गई जिनमें ऑक्सीजन लेवल बहुत कम था। ऐसे रोगियों को जब आठ से 10 मिलीग्राम डोज 24 घंटे में एक बार दी गई तो उनके वेंटिलेटर Ventilator पर जाने की आशंकाएं काफी कम हो गईं।
कोरोना संक्रमण बचाव में उपयोगी रेमेडिसविर इंजेक्शन की खेप के साथ पकड़े गए आरोपियों पर लगी रासुका
उन्होंने कहा है कि न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन के हाल ही के एक शोध में यह बात साफ हाे गई है कि डेक्सामेथासोन सबसे सस्ती और आसानी से मिलने वाली दवा है। यह दवा आरडीएस RDS को रोकने में काफी कारगर है। रेमडेसीविर के एक इंजेक्शन की कीमत करीब 900 रुपये हैं ऐसे में यह ऐसे में इसकी एक डोज यानि छह इंजेक्शन करीब पांच हजार रुपये में मिलती हैं जबकि डेक्सामेथासोन dexamethasone के एक इंजेक्शन की कीमत दस रुपये हैं ताे ऐसे में इसकी पूरी डोज यानि छह इंजेक्शन करीब 60 रुपये में ही मिल जाती है।जानिए क्या कहता है न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित सर्वे रिपाेर्ट
90 से कम ऑक्सीजन लेवल को बढ़ायाशोध रिपोर्ट कहती है कि 2,000 से अधिक ऐसे कोरोना रोगियों पर इस दवा का प्रयोग किया गया जिनका ऑक्सीजन लेवल 90 से कम था। जब इन्हें डेक्सामेथासोन दिया गया तो 28 दिन बाद हैरान कर देने वाले नतीजे सामने आए और ऐसे लोगों की मृत्यु दर काफी कम थी और उन्हें वेंटिलेटर की भी आवश्यकता नहीं पड़ी।
यूपी में सर्विलांस पर रेमडेसिवीर इंजेक्शन विक्रेता, ब्लैकिंग की ताे लगेगी NSA
जानिए क्या होती है आरडीएस स्टेजदरअसलए आरडीएस ( तीर्व श्वषन सिंड्रोम ) एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें रोगी के फेफड़ों की हवा की थैलियों में तरल पदार्थ जमा हो जाता है। ऐसे में फेफड़े ठीक से काम नहीं कर पाते और शरीर को ऑक्सीजन पूर्ण रूप से मिलना बंद हो जाती है। ऐसी स्थिति बेहद घातक होती है और इलाज नहीं मिलने पर ऐसे रोगियों को वेंटिलेटर से सांस दिलाना पड़ता है।