
Uttar Pradesh MLC Election Result Most of Kshatriya Candidate Won
भारतीय जनता पार्टी ने स्थानीय निकाय की 36 सीटों में से 33 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया। 40 साल बाद भाजपा के उच्च सदन में 100 में से 70 एमएलसी होगें। सपा को इस चुनाव में करारी शिकस्त मिली है। उसके सभी प्रत्याशी चुनाव हार गए। बसपा और कांग्रेस ने हार की संभावना को देखते हुए चुनाव ही नहीं लड़ा था। सबसे अप्रत्याशित जीत तीन निर्दलीय उम्मीदवारों की रही।
भाजपा तमाम रणनीति अपनाने के बाद भी यह तीनों सीटें हार गयी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में तो भाजपा उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहा। इसी तरह आजमगढ़ जहां से सपा प्रमुख अखिलेश यादव सांसद थे। और यहां की सभी विधानसभा सीटों पर सपा काबिज है। बावजूद इसके सपा प्रत्याशी की बुरी तरह से हार हुई। प्रतापगढ़ में जनसत्ता दल के अध्यक्ष और विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजाभैया के रण कौशल के आगे भाजपा उम्मीदवार चित हो गया।
आजमगढ़ में बीजेपी का यादव कार्ड फेल
आजमगढ़-मऊ एमएलसी सीट पर बीजेपी का यादव कार्ड फेल हो गया। यहां सपा अपनी जमीन नहीं बचा पाई। निर्दल उम्मीदवार विक्रांत सिंह रीशू ने बीजेपी प्रत्याशी अरुणकांत यादव को 2813 मतों से पराजित किया। बाहुबली रमाकांत यादव अपने बेटे को नहीं जिता सके। आजमगढ़ में यह पहला चुनाव है जब सपा प्रत्याशी की जमानत नहीं बची। बीजेपी ने सपा विधायक बाहुबली रमाकांत यादव के पुत्र अरूणकांत यादव को मैदान में उतारा था। रमाकांत ने सपा में रहते हुए अपने बेटे को जिताने का जतन किया लेकिन वे विक्रंात सिंह उर्फ रीशू के एमएलसी पिता यशवंत सिंह की चाल से बाजी हार गए। विक्रांत भाजपा के बागी उम्मीदवार थे। भाजपा ने इनके पिता यशवंत को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित भी कर दिया है। इस चुनाव में सपा के बाहुबली रमाकांत यादव का बाहुबल काम नहीं आया। जबकि विधानसभा चुनाव में सपा ने क्षेत्र की 14 में से 13 विधानसभा सीटें जीती थीं। यादव कार्ड न चलने से सपा की हार हुई।
मोदी के गढ़ में भाजपा को झटका, बाहुबली की पत्नी जीतीं
वाराणसी स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र में 24 साल से एक ही परिवार का कायम वर्चस्व इस बार भी नहीं टूटा। बाहुबली बृजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह ने सपा के उमेश यादव को हरा कर चुनाव जीत लिया। 2016 के एमएलसी चुनाव में भी यहां निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में बृजेश सिंह जीते थे। इस बार वह जेल में रहते हुए अपनी पत्नी को जितवा दिए। इसके पहले वाराणसी एमएलसी सीट पर दो बार बृजेश सिंह के भाई उदयनाथ सिंह उर्फ चुलबुल सिंह बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं। बृजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह ने 2010 में बसपा के टिकट पर जीती थीं। बृजेश सिंह के भतीजे और स्व. चुलबुल सिंह के बड़े बेटे सुशील सिंह बीजेपी से विधायक हैं।
प्रतापगढ़ में राजाभैया का डंका, भाई बने एमएलसी
प्रतापगढ़ सीट से राजा भैया के करीबी रिश्तेदार अक्षय प्रताप सिंह चुनाव जीत गए। बीजेपी के हरि प्रताप दूसरे स्थान पर रहे। अक्षय प्रताप सिंह उर्फ गोपालजी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी की तरफ से मैदान में थे। यह यहां से अभी एमएलसी हैं। जनसत्ता दल से कुंडा विधायक राजा भैया खुद और बाबागंज विधायक विनोद सरोज की प्रतिष्ठा जुड़ी हुई थी। अक्षय गोपाल यहां से 1998 से ही एमएलसी चुने जाते रहे हैं। 2004 में सांसद बनने पर खाली एमएलसी सीट पर राजा भैया के सहयोगी आनंद भूषण सिंह जीते थे। पिछले दो चुनाव में सपा के टिकट पर अक्षय प्रताप फिर से चुनकर आए।
एमएलसी चुनावों में राजपूतों का बोलबाला
उत्तर प्रदेश विधान परिषद के चुनाव में 36 सीटों में से अधिकतर सीटों में राजपूतों का बोलबाला देखने को मिला। पूर्वांचल से लेकर पश्चिम और मध्य यूपी में बाकियों की तुलना में राजपूत प्रत्याशियों की जीत रही। इतना ही बल्कि कई उम्मीदवार ऐसे है जो बड़े मार्जिन के साथ जीते हैं। गोरखपुर के प्रत्याशी सीपी चंद को 4839 वोट मिले तो वहीं, सपा के रजनीश यादव को 407 वोट मिले।
Updated on:
12 Apr 2022 03:44 pm
Published on:
12 Apr 2022 03:27 pm
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