
लखनऊ. सरकार द्वारा चलाई जा रही मनरेगा योजना में अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों द्वारा किए गए खेल को लेकर अब शासन सख्त हो गया है। मनरेगा में जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के रिश्तेदारों के नाम से पंजीकृत फर्मों की कुंडली खंगाली जा रही है। प्रदेश सरकार ने क्षेत्र पंचायत प्रमुख, ग्राम प्रधान व मनरेगा के अधिकारियों व कर्मचारियों की ओर से अपने रिश्तेदारों के नाम से फर्म या कंपनी बनाकर निर्माण सामग्री, स्टेशनरी, ईंधन और अन्य सामग्री आपूर्ति की जांच करने के आदेश जारी किए हैं। मनरेगा के अधिकारी कर्मचारियों के रिश्तेदारों के नाम से पंजीकृत फर्म से आपूर्तिया बंद की जाएंगी।
मनोज कुमार सिंह ने दिए निर्देश
ग्राम विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने सभी जिलाधिकारियों को मनरेगा में वेंडर के रूप में दर्ज पंजीकृत फार्म या कंपनी की पृष्ठभूमि की जांच कराने के निर्देश दिए हैं। मनरेगा में 60 फ़ीसदी राशि मजदूरी और 40% राशि सामग्री मद में खर्च होती है। हर जिले में प्रतिवर्ष सामग्री मद में करोड़ों रुपए की खरीद होती है। निर्माण सामग्री स्टेशनरी इंधन, दीवार लेखन या फ्लेक्स प्रिंटिंग का कार्य वेंडर के जरिए कराया जाता है। वेंडर का पंजीकरण मनरेगा के पोर्टल पर किया जाता है।
इन रिश्तेदारों के नाम फर्म हो होगी कार्रवाई
यदि मनरेगा अधिकारी या जनप्रतिनिधि ने अपने पिता, दादा, ससुर, चाचा, मामा, पुत्र, पुत्री, दामाद, भाई, भतीजा, भांजा, चचेरा भाई, ममेरा भाई, पत्नी का भाई, बहनोई, पती का भाई, पत्नी का भाई पति की बहन, पत्नी की बहन, पत्नी, पुत्री, पुत्र वधू, चचेरे मामा, भाई की पत्नी, सांस और चाची के नाम पर फर्म का रजिस्ट्रेशन कराया है तो इनके लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है।
Updated on:
28 Mar 2022 03:44 pm
Published on:
28 Mar 2022 03:42 pm
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