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जानें बहुजन समाज पार्टी के पूर्व सदस्य और निषाद पार्टी के संस्थापक संजय निषाद कौन हैं

निषाद पार्टी के संस्थापक डॉ संजय निषाद राजनीति में आने से पहले गोरखपुर के गीता वाटिका रोड पर अपनी इलेक्ट्रो होम्योपैथी की क्लीनिक चलाते थे| इस घटना से वह काफी चर्चा में रहे जिसका उपयोग उन्होंने निषाद पार्टी को मजबूत बनाने में किया और गांव-गांव निषाद पार्टी का संगठन बनाया|

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लखनऊ

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Mahima Soni

Sep 11, 2021

जानें बहुजन समाज पार्टी के पूर्व सदस्य और निषाद पार्टी के संस्थापक संजय निषाद कौन हैं

जानें बहुजन समाज पार्टी के पूर्व सदस्य और निषाद पार्टी के संस्थापक संजय निषाद कौन हैं

लखनऊ.Sanjay Nishad: बहुजन समाज पार्टी के पूर्व सदस्य और निषाद जाति को अनुसूचित जाति में शामिल किए जाने की मांग को लेकर चर्चा में बने रहने से निषाद पार्टी को बनाने तक के संजय निषाद के सफर को जानें

निषाद पार्टी
निषाद पार्टी की स्थापना 2016 में हुई थी। निषाद पार्टी का मतलब 'निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल' है। निषाद पार्टी को निषाद, केवट, बिंद, मल्लाह, कश्यप, मांझी, गोंड और अन्य समुदायों के सशक्तिकरण के लिए बनाया गया था, जिनके पारंपरिक कारोबार नदियों पर केंद्रित थे, जैसे कि नाविक या मछुआरे। पार्टी की पहचान मैरून टोपी और झंडे से है| निषाद विकास संघ के अध्यक्ष मुकेश साहनी और प्रवीण निषाद जैसे बड़े नाम हैं इस पार्टी में|

संजय निषाद
निषाद पार्टी के संस्थापक हैं संजय निषाद। संजय पार्टी बनाने से पहले गोरखपुर में डॉक्टर थे| निषाद पार्टी बनाने से पहले बहुजन समाज पार्टी के सदस्य रह चुके हैं| पार्टी बनाने के बाद संजय ने अपने दो बेटों को नौकरी छुड़ाकर पार्टी के काम में लगा दिया पर उनका एक बेटा और बेटी राजनीति से दूर हैं| निषाद ने पहली बार कैम्पियरगंज विधानसभा से चुनाव लड़ा लेकिन हार गए| इसके बाद वह अपनी जाति की राजनीति से जुट गए और वर्ष 2008 में 'ऑल इंडिया बैकवर्ड एंड माइनॉरिटी वेलफेयर मिशन' और 'शक्ति मुक्ति महासंग्राम' नाम के दो संगठन बनाए| उन्होंने ‘मछुआ' समुदाय की 553 जातियों को एक मंच पर लाने की मुहिम शुरू की|

निषाद पार्टी का राजनीतिक करियर
निषाद पार्टी ने 2017 के यूपी विधान सभा चुनाव में पीस पार्टी ऑफ इंडिया, अपना दल और जन अधिकार पार्टी के साथ गठबंधन में अपनी पार्टी के 100 उम्मीदवार सदस्यों को उतारा | 4 अप्रैल 2019 को निषाद पार्टी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल हो गई, जिसमें प्रवीण कुमार निषाद भाजपा के टिकट पर संत कबीर नगर निर्वाचन क्षेत्र से लड़े और चुने गए।

2022 चुनाव के लिए निषाद पार्टी का बयान
निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ संजय निषाद (Sanjay Nishad) ने कहा कि हमने भाजपा (BJP) से 160 सीटों में से 70 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए भाजपा से बात की है पर इशारों में कहा की 2022 के चुनाव में सरकार उसी की बनेगी जो निषाद पार्टी के साथ चलेगा|

2022 चुनाव के लिए संजय निषाद की सरकार से 6 बड़ी मांगें

- हर जिले में हर जाति के लिए कोचिंग सेंटर तैयार हो
- निषाद राज और राम गले मिले थे तो दुनिया में शांति हुई, इसे पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए
- गरीबों के लिए बैकलॉग की व्यवस्था की जाए
- आर्थिक आधार पर बैकलॉग से पद भरे जाएं
- भाजपा ने जैसे अपने मुकदमें वापस किए वैसे हमारे भी कार्यकर्ताओं के मुकदमें वापस हो
- हमें आरक्षण दिया जाए, हमारे ताल घाट हमें वापस किए जाएं

यूपी में निषाद वंश
यूपी में निषाद वंश की सात जातियां- मंझवार, गौड़, तुरहा, खरोट, खरवार, बेलदार, कोली अनुसूचित जाति में शामिल हैं, लेकिन अन्य उपजातियों को ओबीसी में रखा गया है|

संजय की किताबें
संजय ने खुद एक पुस्तिका ‘निषादों का इतिहास’ और दूसरी ‘भारत का असली मालिक कौनहै' नामक किताब लिखी जिसमे उन्होंने निषादों का इतिहास लिखा ताकि व्यवस्था और राजनीतिक परिवर्तन हो सके|

निषाद पार्टी की खासियत
निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय हमेशा कोट-टाई पहने रैलियों और सभाओं में देखे जाते हैं और विशेष अंदाज में हाथ हिलाते हुए अपने को निषाद समाज के मसीहा के रूप में प्रस्तुत करते हैं| पार्टी कार्यकर्ता और समर्थक 'एकलव्य मानव संदेश' न्यूज नाम से वेबसाइट और यूट्यूब चैनल चलाते हैं, जिस पर निषाद समाज की खबरें और संजय निषाद के ‘संदेश’ प्रसारित होते हैं| पार्टी में शामिल कार्यकर्ताओं को ‘निषादों का इतिहास’, ‘निषाद संस्कृति’ और ‘निषाद सभ्यता’ के बारे में बताया गया|

संजय के ऑफिस में निषाद समाज के जिन पुरखों की तस्वीर लगी है, जिसमे वास्कोडिगामा और कोलंबस भी हैं| वह कहते हैं कि ये दोनों नाविक थे, इसलिए निषाद वंशीय हैं क्युकी निषाद समुदाय अंतराष्ट्रीय है और समुद्र, नदी, पोखरों पर जिनकी भी आजीविका और गतिविधि हैं, वह सब निषाद वंशीय हैं|


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