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15 हजार किसानों का नहीं बना डिजिटल ID, अब नहीं लें पाएंगे योजना का लाभ, जानें वजह…

CG Kisan Digital ID: महासमुंद जिले में 15 हजार किसानों की अब तक डिजिटल आईडी नहीं बन पाया है। आईडी नहीं बनवाने से प्रधानमंत्री किसान समान निधि से मिलने वाली राशि से किसान वंचित हो सकते हैं।

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15 हजार किसानों का नहीं बना डिजिटल ID(photo-unsplash)

15 हजार किसानों का नहीं बना डिजिटल ID(photo-unsplash)

CG Kisan Digital ID: छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में 15 हजार किसानों की अब तक डिजिटल आईडी नहीं बन पाया है। आईडी नहीं बनवाने से प्रधानमंत्री किसान समान निधि से मिलने वाली राशि से किसान वंचित हो सकते हैं। एक लाख 37 हजार किसान पीएम किसान समान निधि योजना के तहत पंजीकृत हैं। इसमें से एक लाख 30 हजार सक्रिय हैं। अब तक एक लाख 15 हजार किसानों की डिजिटल आईडी बनाई जा चुकी है। 15 हजार किसान, डिजिटल आईडी बनाने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं।

यह भी पढ़ें: CG Kisan News: कृषि क्षेत्र में डिजिटल क्रांति लाने की तैयारी, किसानों को मिलेगी डिजिटल पहचान

CG Kisan Digital ID: जानें आखिर क्या है कारण?

शासन द्वारा भी योजना का लाभ लेने के लिए अपील की जा रही है। एग्री स्टैक परियोजना के तहत किसानों की डिजिटल आईडी बनाने का कार्य किया जा रहा है। च्वाइस सेंटर व कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से आईडी बनाई जा सकती है। पूर्व में किसान डिजिटल आईडी बनाने के लिए 31 मार्च अंतिम तिथि निर्धारित की गई थी। इसके बाद तिथि में भी वृद्धि की गई थी। डिजिटल किसान आईडी के माध्यम से सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ मिलेगा।

हालांकि, यह किसान आईडी कोई भी किसान बना सकता है। जिले कुल किसानों की संख्या 3 लाख 56 हजार है। इसमें कसान समान निधि योजना से 1 लाख 37 हजार किसान जुड़े हुए हैं। कॉमन सर्विस सेंटर के प्रबंधक ने बताया कि च्वाइस सेंटर के माध्यम से आईडी बना सकते हैं। कृषि विभाग के उप संचालक एफआर कश्यप ने बताया कि आईडी बनाने का कार्य जारी है।

आईडी बनाने ये दस्तावेज जरूरी

किसानों को फार्मर आईडी बनाने के लिए कृषि भूमि का बी-1, खसरा, ऋण पुस्तिका और आधार से लिंक मोबाइल नंबर, जिस पर आधार सत्यापन व ओटीपी प्राप्त करना जरूरी हो। लगभग 20 प्रतिश्त लोगों के आवदन आने शेष हैं। आईडी बनवाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

11 अंकों की मिलेगी विशिष्ट पहचान

किसानों को 11 अंकाें का विशेष कोड प्रदान किया जाएगा। एक यूनिक आईडी दी जाएगी। इसमें वे डिजिटल रूप से अपनी पहचान को प्रमाणित कर सकेंगे। यह पहल किसानों को सरकारी योजना का लाभ लेने में सहायक होगी।

किसानाें का पंजीयन नहीं होने पर योजनाओं का लाभ मिलने में परेशानी हो सकती है। एक बार पंजीयन हो जाने पर बार-बार दस्तावेज जमा करने के झंझट से किसानों को मुक्ति मिल सकती है। आईडी के माध्यम से किसानों का केंद्रीकृत डाटा बनाया जाएगा। कृषि क्षेत्र में बेहतर नीतियों का निर्माण हो सकेगा।