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CG Education: खेल-खेल में शिक्षा से बच्चों के सपनों को लग रहे पंख, स्कूल के दर्ज संया में हुई बढ़ोतरी..

CG Education: शिक्षक दिवस विशेष के मोके में शिक्षक सरिता साहू का मानना है शिक्षा केवल किताबों में बंद नहीं होनी चाहिए, बल्कि जीवन के हर पहलू से जोड़ा जाना चाहिए। जिसमें बच्चे खेलते हुए ही जीवन की महत्वपूर्ण शिक्षाएं सीखते हैं।

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CG Education: छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में शिक्षक बच्चो को यह सिख देते है की शिक्षा केवल किताबों में बंद नहीं होनी चाहिए, बल्कि उसे जीवन के हर पहलू से जोड़ा जाना चाहिए। इसी सोच के तहत शासकीय अभ्यास प्राथमिक शाला की महिला शिक्षक सरिता साहू खेल-खेल में पढ़ाई का अनूठा तरीका अपनाया है, जिसमें बच्चे खेलते हुए ही जीवन की महत्वपूर्ण शिक्षाएं सीखते हैं।

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CG Education: शिक्षा के साथ-साथ बच्चों के सपनों को पंख दिए जाए

सरिता खेल-खेल में शिक्षा के प्रति बच्चों में रुचि को बढ़ाने में लगी हुई है। सरिता का प्रयास होता है कि स्कूल के प्रति बच्चों में आकर्षण बढ़े, इसके लिए हर संभव कोशिश करती हैं कि बच्चों को उनकी अभिरुचि के अनुरूप गतिविधि कराकर पढ़ाया जाए। महासमुंद के अभ्यास प्राथमिक शाला में हर सुबह एक नया सवेरा होता है, जहां शिक्षा के साथ-साथ बच्चों के सपनों को पंख दिए जाते हैं। इस परिवर्तन की धारा को दिशा देने वाली शिक्षक हैं सरिता साहू। वह सुबह से ही स्कूल पहुंचकर बच्चों के आने का इंतजार करती हैं।

सरिता कहती हैं कि बच्चे जब स्कूल आते हैं तो वह उनका स्वागत करती हैं। पैरेंट्स भी अपने बच्चों को सरिता के सुपुर्द करते हुए कहती हैं कि अब वे निश्चिंत हो गई हैं कि उनके बच्चे खेल-खेल में पढ़ाई की ओर आगे बढ़ेंगी। पैंरेंट्स कहते हैं कि बच्चे जब घर जाते हैं तो सरिता मैडम जो खेल-खेल में पढ़ाती हैं उसी अंदाज में वे घर में खेलते हैं।

स्कूल को दी एक नई पहचान

बच्चों को पहाड़ा याद कराने के साथ फूल और फूल के नाम गीतों के माध्यम से सीखाने वाली सरिता कहती हैं कि बचपन से ही उनके मन में यह ललक थी कि वह शिक्षक बने, छत्तीसगढ़ की सरकार ने उनके इस सपने को पंख दिया और कई स्कूलों के बाद महासमुंद के अभ्यास स्कूल में सेवा दे रही हैं। उनका कहना है कि प्रधान पाठक डेमेश्चरी गजेंद्र उनकी प्रेरणास्रोत हैं, जो नवाचार को लेकर शिक्षकों को हमेशा प्रोत्साहित करते रहती हैं। उनके मार्गदर्शन में शिक्षकों के बीच सीखने-सीखाने की ललक तो जागृत हो ही रही है। साथ ही साथ यह भी तय हो पा रहा है कि बच्चों की शैक्षणिक बुनियाद को मजबूत कैसे किया जाए।

उन्होंने बताया कि एक समय था जब अभ्यास स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की संया बेहद कम होती थी और कम दर्ज संया के कारण कई बार स्कूल को बंद करने के प्रस्ताव भी दिए गए, लेकिन डेमेश्वरी मैडम के नेतृत्व में उनकी टीम भावना ने न सिर्फ दर्ज संया में काफी बढ़ोतरी की अपितु स्कूल को एक नई पहचान भी दी है।