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दाल आयात की समयसीमा 31 अक्टूबर से आगे बढऩे की संभावना

देश में उड़द और मूंग की फसल को बारिश से हुई है क्षति दलहन आयात की समय सीमा 31 दिसंबर तक करने की मांग

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नई दिल्ली। सरकार द्वारा चालू वित्त वर्ष 2019-20 में दाल के आयात के लिए तय मौजूदा समयसीमा 31 अक्टूबर को समाप्त हो रही है, लेकिन कारोबारियों को उम्मीद है कि एक-दो दिन में इसे आगे बढ़ाए जाने पर फैसला लिया जा सकता है। दलहन कारोबारियों का कहना है कि देश में उड़द और मूंग की फसल को बारिश से हुई क्षति के मद्देनजर सरकार इस पर विचार कर सकती है।

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ऑल इंडिया दाल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने कहा, "अगर सरकार दालों के आयात की समयसीमा आगे बढ़ाने का फैसला लेती है तो एक-दो दिन में इस संबंध में अधिसूचना जारी हो सकती है।" कारोबारियों ने बताया कि सरकार द्वारा चालू वित्त वर्ष के लिए तय कोटे के अनुसार, दलहनों के पूरे परिमाण का आयात नहीं हो पाया है, इसलिए इस बात की पूरी संभावना है कि आयात की समय सीमा 31 अक्टूबर से आगे बढ़ाई जा सकती है। दाल आयात की समयसीमा बढ़ाने पर फैसला वाणिज्य मंत्रालय लेगा जिसका अभी इंतजार किया जा रहा है।

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इंडिया पल्सेस एंड ग्रेंस एसोसिएशन के उपाध्यक्ष विमल कोठारी ने भी बताया कि उड़द और मूंग की फसल को हाल के दिनों में हुई भारी बारिश से काफी नुकसान हुआ है, लिहाजा सरकार दलहन आयात की समय सीमा बढ़ा सकती है। कारोबारियों ने सरकार से दलहन आयात की समय सीमा 31 अक्टूबर से बढ़ाकर 31 दिसंबर, 2019 तक करने की मांग की है।

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गौरतलब है कि सरकार ने चालू वित्त वर्ष में चार लाख टन तुअर (अरहर), डेढ़ लाख टन उड़द और डेढ़ लाख टन मूंग के आयात की अनुमति दी है। इसके अलावा, डेढ़ लाख टन मटर का आयात करने की अनुमति दी गई है। अग्रवाल ने बताया कि अरहर का आयात करीब 1.5 लाख टन हो चुका है और 2.5 लाख टन और मंगाया जा सकता है। उड़द का आयात करीब एक लाख टन हुआ, जबकि मटर का आयात पूरा 1.5 लाख टन हो चुका है।