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एएसपी अनुज चौधरी पहुंचे प्रेमानंद महाराज की शरण में, पूछा- क्या कार्रवाई करना अपराध? जानें जवाब

ACP Anuj Chaudhary reached Premanand Maharaj Radha Kelly Kunj Vrindavan ashram संभल एसीपी अनुज चौधरी प्रेमानंद महाराज से आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचे। इस दौरान उन्होंने निर्दोष के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर सवाल पूछे। प्रेमानंद महाराज ने उन्हें यह उत्तर दिया।

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प्रेमानंद महाराज (फोटो सोर्स- 'X' केली कुंज आश्रम वृंदावन)

फोटो सोर्स- 'X' केली कुंज आश्रम वृंदावन)

ACP Anuj Chaudhary reached Premanand Maharaj Radha Kelly Kunj Vrindavan ashram संभल हिंसा के बाद चर्चा में आए को अनुज चौधरी का प्रमोशन एसीपी के पद पर हुआ है। प्रमोशन के बाद एसीपी अनूप चौधरी केली कुंज वृंदावन आश्रम पहुंचे। जहां उन्होंने प्रेमानंद महाराज से आशीर्वाद लिया। इस दौरान एकांतिक बातचीत भी हुई। एसीपी अनुज चौधरी ने पूछा कि कई बार निर्दोषों को सजा मिल जाती है और अपराधी बच निकलते हैं। इस पर प्रेमानंद महाराज ने कहा कि अदालत सबूत और साक्ष्यों के आधार पर सजा सुनाते हैं। इसमें आपका कोई दोष नहीं है।

क्या कहते हैं एसीपी अनुज चौधरी?

उत्तर प्रदेश के संभल के एसीपी अनुज चौधरी प्रमोशन मिलने के बाद प्रेमानंद महाराज से आशीर्वाद लेने पहुंचे। इस मौके पर उन्होंने पूछा कि पिछले दिनों में एक मामला सामने आया। जिसमें वादी पक्ष के लड़के की मौत हो गई थी। जिसमें एक युवक को नामजद किया। लेकिन कोई एविडेंस नहीं है। घटना करते किसी ने नहीं देखा। नामजद युवक कहता है कि वह घटना के समय मौके पर नहीं था। ऐसे में उनके ऊपर जिम्मेदारी बढ़ जाती है। अगर यदि वह कुछ करते हैं तो पुलिस पर आरोप लगता है। इसी प्रकार की एक अन्य घटना का भी उन्होंने उल्लेख किया।

क्या कहते हैं प्रेमानंद आचार्य महाराज?

एसीपी अनुज चौधरी के सवाल पर प्रेमानंद महाराज ने कहा कि आप अंतर्यामी तो है नहीं कि पर्दे के पीछे क्या हो रहा है? उसे जान जाए। आप साक्ष्य और रिपोर्ट के आधार पर ही कार्रवाई कर सकते हैं। जिसके खिलाफ रिपोर्ट की गई। उसके खिलाफ कार्रवाई करनी होगी। यह उस युवक का प्रारब्ध है। जो गुप्त है, जो प्रकाशित नहीं है। अब उसे इसकी सजा भोगनी है। इसमें आपका कोई दोष नहीं है।

पूर्व जन्मों में किए गए कर्मों का मिल रहा फल

प्रेमानंद महाराज ने कहा कि न्यायाधीश साक्ष्यों के आधार पर निर्णय सुनाते हैं। लेकिन वह निर्दोष है। ऐसे में यह पूर्व जन्मों में किए गए कर्मों की सजा है। इस समय भले ही उसने कोई अपराध न किया हो। उस युवक को पिछले जन्म में किए गए पापों की सजा भोगनी पड़ेगी। डंडे भी खाने पड़ेंगे और यह तब तक चलेगा। जब तक सजा पूरी ना हो जाए। सजा पूरी होने के बाद साक्ष्य मिल जाएंगे कि वह निर्दोष है और छूट जाएगा। ऐसे में आप साक्ष्य के अनुसार कार्य करेंगे तो कोई दोष नहीं लगेगा। अर्थ यानी रिश्वत देकर यह कार्य किया जाए ‌तो दोष है।