
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
मेरठ। मेरठ के आरवीसी यानी रिमाउंट वेटनरी कोर की उपलब्धि में एक सफलता और जुड़ गई है। आरवीसी के डॉग ब्रीडिंग एंड ट्रेनिंग सेंटर ने शरीर में कोविड-19 वायरस का पता लगाने के लिए खोजी कुत्तों को प्रशिक्षण दिया है। इसे रिमाउंट वेटनरी कोर यानी आरवीसी की एक बड़ी उपलब्धियों में गिना जा रहा है। कोरोना वायरस की पहचान के लिए तैयार किए गए ये खोजी कुत्ते फिलहाल इंसान के पसीना और मूत्र इत्यादि के गंध को सूंघकर वायरस का पता लगाने में सक्षम हो गए हैं। प्राप्त सैंपल में वायरस की पहचान करने में उन्हें कुछ पल ही लगते हैं।
मेरठ कैंट में प्रशिक्षण के बाद अब इन ट्रेनी कुत्तों को दिल्ली में तैनात किया गया है। करीब ड़ेढ़ महीने की ट्रेनिंग के बाद उपलब्ध परिणाम ने सेना को उत्साहित कर दिया है। शुरुआती ट्रेनिंग के बाद छावनी स्थित सैन्य अस्पताल में आए संदिग्ध मरीजों के सैंपल लिए गए। इनमें से जिन्हें प्रशिक्षित कुत्तों द्वारा चिन्हित किया गया। उन सैंपल की मेडिकल रिपोर्ट भी पॉजीटिव यानी कोरोना संक्रमण की पुष्टि करने वाली पाई गई। इस तरह करीब 99 फीसद रिजल्ट में इन कुत्तों ने कोरोना की पहचान बिल्कुल सटीक की। मेरठ कैंट में सफल परीक्षण के बाद तीन प्रजातियों के कुत्तों को दिल्ली के कैंट इलाकों में तैनात किया गया है। ये प्रशिक्षित कुत्ते वहां पर हर आने जाने वाले सैनिक की कोविड—19 की जांच सूंधकर करते हैं।
जिन तीन नस्ल के कुत्तों केा प्रशिक्षित किया गया है। उनमें लेब्राडोर, कॉकर स्पेनियल और दक्षिण भारतीय प्रजाति चिप्पिपराई के कुत्ते शामिल हैं। आरवीसी सूत्रों ने बताया कि कोविड-19 से पीड़ित व्यक्ति के शरीर से विशेष तरह का रसायन निकलता है। जिसकी गंध को प्रशिक्षित कुत्ते पहचान लेते हैं। इन कुत्तों को इसी रसायन गंध को सूंघने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। सैंपल में उस वायरस की गंध मिलते ही यह कुत्ते वहीं बैठकर और भौंककर हैंडलर या प्रशिक्षक को स्पष्ट संकेत दे देते हैं। आरवीएस सूत्रों के अनुसार, प्राथमिक तौर पर प्रशिक्षित तीन कोविड-19 डिटेक्टर कुत्तों को लेकर ट्रायल चल रहा है। इन कुत्तों केा सीमा पर भी तैनात किया जाएगा। इसके अलावा सेना को कोरोना संक्रमण से बचाने में भी आरवीसी के ये कुत्ते बहुत बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।
Published on:
29 Nov 2020 12:10 pm
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