
पश्चिमी उप्र से उगता है भाजपा की सफलता का सूरज,2024 में 2019 दोहराने की तैयारी
BJP general election 2024 preparations पश्चिमी उप्र को भगवामय बनाने में भाजपा कोई मौका नहीं चूकना चाहती है। यहीं कारण है कि पश्चिमी उप्र का गढ़ मेरठ में केंद्र और प्रदेश सरकार के मंत्रियों की आमद हर दम बनी रहती है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मेरठ आकर बाबा औघडनाथ में अपना मत्था टेक चुके हैं। भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नडडा भी मेरठ को मथ चुके हैं। भाजपा की आक्रामक रणनीति के आगे बाकी दलों की तैयारियां काफी पिछड़ी हुई दिखाई दे रही है। बात हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव की करें तो तमाम चुनौतियों के बाद भी भाजपा ने पश्चिमी उप्र के 70 फीसदी विधानसभा सीटों पर बढ़त हासिल की थी। जबकि इस पूरे क्षेत्र में भाजपा केा 15 सीटों का नुकसान भी हुआ था।
सपा और रालोद गठबंधन और किसानों की नाराजगी के बावजूद भी भाजपा को मतदाताओं ने पसंद किया। भाजपा ने जाट और भाकियू के गढ़ मुजफ्फरनगर में अच्छा प्रदर्शन किया था। इसके अलावा पश्चिमी उप्र के आगरा, गाजियाबाद, मथुरा, और नोएडा की सभी सीटों पर जीत हासिल का विपक्षी गठबंधन को तगड़ी चुनौती दी थी। 2017 में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 24 जिलों की 126 सीटों में से भाजपा को 100 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। जबकि इस बार पार्टी का 85 सीटों का रहा और यह 67 प्रतिशत रहा था। हालांकि भाजपा शामली जिले की सभी तीन सीटों पर हार गई थी। मेरठ की सात सीटों में से चार पर ही जीत दर्ज कर सकी थी। जबकि मुजफ्फरनगर की छह सीटों में से चार सीटे जीती थी।
2019 के आम चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 27 सीटों में से 8 सीटों पर गठबंधन को जीत हासिल हुई है जबकि 19 सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की थी। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने चार-चार सीटें जीतने में कामयाब रहीं थी। इस बार भाजपा के सामने रालोद चुनौती के रूप में उभर रहा है। जिसने भाजपा को 2022 के विधानसभा चुनाव में कड़ी टक्कर दी थी। भाजपा के लिए जाट-मुस्लिम समीकरण की काट करने के लिए 2024 में काफी मेहनत करनी होगी।
Updated on:
21 Aug 2022 06:29 pm
Published on:
21 Aug 2022 06:27 pm
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