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Exclusive Interview इस वजह से स्विंग के किंग प्रवीण कुमार ने कहा क्रिकेट को अलविदा

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने वाले प्रवीण कुमार से 'पत्रिका' की विशेष बातचीत

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मेरठ

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lokesh verma

Oct 22, 2018

Praveen Kumar

Exclusive Interview इस वजह से स्विंग के किंग प्रवीण कुमार ने कहा क्रिकेट को अलविदा

केपी त्रिपाठी/मेरठ. मेरठ के प्रवीण कुमार अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट जगत में एेसा चमकता सितारा थे, जिनकी स्विंग के सामने क्रिकेट का जनक देश आस्ट्रेलिया भी धूल चाट गया था। उनकी स्विंग गेदबाजी का ही कमाल था कि भारत ने 2008 में आस्ट्रेलिया को उसके घर में ही जबरदस्त तरीके से हराया था, जिसे आज भी आस्ट्रेलियाई याद करते हैं। वह पीके की स्विंग होती गेदों का ही कमाल था। उस समय क्रिकेट जगत में चारों ओर प्रवीण कुमार का जलवा अफरोज था। कहते हैं समय जाते देर नहीं लगती। सफलता की बुलंदियों पर छाए क्रिकेटर के सितारे गर्दिश में कब आ जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। ऐसा ही पीके साथ भी हुआ। शरीर पर लगी दो चोटों ने उसके अंतराष्ट्रीय क्रिकेट पर ग्रहण लगा दिया। अपनी कुछ पुरानी यादें प्रवीण कुमार ने 'पत्रिका' संवाददाता से फोन पर साझा की। पेश हैं उन्हीं के कुछ अंश

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पत्रिका संवाददाता: अतंरराष्ट्रीय क्रिकेट से सन्यास लेने की वजह क्या है?
प्रवीण कुमार: दो चोटों के कारण काफी समय से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से दूर रहा। इस कारण अपनी फिटनेस पर भी ध्यान नहीं दे पाया। जब आप आउट आॅफ फार्म होते हैं और आपको लगे कि आप अब वापसी नहीं कर सकते तो यह सबसे अच्छा समय होता है पैकअप करने का। यही मैंने भी किया।

पत्रिका संवाददाता: संन्यास लेने के बाद आगे भविष्य में क्या योजना है?
प्रवीण कुमार: भविष्य में एक अच्छी एकेडमी खोलने की योजना पर काम चल रहा हूं। आजकल जो एकेडमी खुली हैं उनमें क्रिकेट की पौध का भविष्य अंधकार में है। वे ठीक से ट्रेनिंग नहीं देते, जिससे बच्चों का समय तो नष्ट होता ही है, साथ ही उनके करियर पर भी ग्रहण लगता है। मेरी एक ऐसी एकेडमी खोलने की योजना है, जिसमें स्विंग की पौध तैयार हो। भारत में स्विंग गेदबाजों की कमी है। विदेशों में भारतीय स्विंग गेदबाज बहुत सफल होते हैं।

पत्रिका संवाददाता: कोई ऐसी सीरिज जो आज भी आपको याद हो?
प्रवीण कुमार: एक क्रिकेटर के तौर पर तो सभी सीरिज यादगार हैं। चाहें वे जीती हुई हों या हारी हुई, लेकिन 2008 में आस्ट्रेलिया में हुई सीबी ट्राॅफी को मैं आज तक नहीं भूला। चार मैचों की इस सीरिज में मैंने दस विकेट लिए थे। आस्ट्रेलिया का मौसम मेरी गेदबाजी के अनुकूल था और मैं वहां पर 125 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से गेदबाजी कर रहा था। मैं अपना पहला मैच नहीं भूल सकता जो मैंने 2007 में जबलपुर में पाकिस्तान के खिलाफ खेला था।

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पत्रिका संवाददाता: भारत में क्रिकेट का भविष्य कैसा है?
प्रवीण कुमार: भारत में क्रिकेट का भविष्य काफी उज्ज्वल है। नए बच्चे इसको अपने करियर के रूप में अपना रहे हैं। क्रिकेट में अन्य खेलों की अपेक्षा रूपया-पैसा भी खूब है, लेकिन आपको अपनी फार्म में होना चाहिए। बंगलुरू, चेन्नई, मुंबई और दिल्ली, चंडीगढ़ जैसे शहरों में नई और उच्च तकनीक वाली एकेडमी खुल रही हैं, जहां पर बच्चे क्रिकेट में अपना भविष्य बना रहे हैं।

पत्रिका संवाददाता: देश के नवोदित क्रिकेटरों के लिए क्या संदेश देना चाहेंगे?
प्रवीण कुमार: हां जरूर। सबसे पहले तो अगर बच्चे क्रिकेट में अपना भविष्य बनाना चाहते हैं तो अच्छी एकेडमी चुने। खूब प्रेक्टिस करें। इसमें लगन जरूरी है। बिना लगन और एकाग्रता के कुछ नहीं होगा। गेदबाजी में बहुत संभावनाएं हैं। देश में तेज गेदबाजों की कमी है। नई पीढ़ी उस कमी को पूरा करे।

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