
मेरठ. मेरठ के जीमखाना मैदान में आयोजन था शहीदों की माटी को नमन का। कार्यक्रम भले ही शहीदों के परिवावालों को सम्मानित करने वाला रहा हो, लेकिन देश के ऊपर शहीद हुए परिवार को आज भी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। प्रेस ने जब परिजनों से बात की तो उनकी जुबान पर दर्द छलक पड़ा। कार्यक्रम में पहुंची एक शहीद की मां ने कहा कि सभी शहीद को सिर्फ एक दिन ही पूछते हैं। उसके बाद भूल जाते हैं। वो अपने दूसरे बेटे को भी सेना में भेजना चाहती थीं, लेकिन उसकी भरती से मना कर दिया। जो सुविधा देने का सरकार और नेताओं की तरफ से वादा किया गया था वो भी नहीं मिल पाया।
उनका कहना था कि बेटा देश के ऊपर शहीद हुआ, इसका कोई दुख नहीं है। दुख इस बात का है कि जिस देश के ऊपर शहीद हुआ, उसकी सरकार शहीदों का अपमान कर रही है। शहीदों के परिजनों की उपेक्षा की जाती है। जब कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं तो उनको बुला लिया जाता है, जबकि सालों-साल कोई आकर पूछता तक नहीं है। उन्होंने कहा सुविधा के लिए चक्कर काट-काटकर चप्पले घिस गई, लेकिन कुछ नहीं हासिल हुआ। बेटे का मैडल ही एकमात्र सहारा है, जिसको उन्होंन सीने से लगा रखा है।
एक अन्य शहीद की मां ने कहा कि सरकार शहीदों को सिर्फ एक दिन ही याद करती है, फिर भूल जाती है। आज भी उनके बेटे की याद आते ही पुरानी यादें ताजा हो आती हैं। हम अपने को सिर्फ यही दिलासा देते हैं कि हम एक शहीद के परिवार से हैं, जबकि सुविधा के नाम पर कुछ भी आजतक नहीं मिला।
Published on:
19 Jan 2020 02:25 pm
बड़ी खबरें
View Allमेरठ
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
