31 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Independence Day 2021: आजादी के 75वें वर्ष में भी जवान है बापू की खादी, युवाओं में भी बढ़ा क्रेज

Independence Day 2021: युवाओं और अन्य वर्गों में सिर चढ़कर बोल रहा खादी का क्रेज, बापू के चरखे से निकली खादी आज आधुनिकता के फैशन में काफी आगे।

2 min read
Google source verification

मेरठ

image

lokesh verma

Aug 14, 2021

independence-day-2021.jpg

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
मेरठ. Independence Day 2021 : विदेशी समान का बहिष्कार करने के लिए गांधी जी ने 1917 में जब चरखा चलाकर रूई की गुच्छी से सूत काता था तो उन्हें भी उम्मीद नहीं रही होगी कि उनके चरखे से निकले धागे से बनी सूती खादी (Khadi ) आज इतनी लोकप्रिय होगी। आज आजादी के 75वें साल में भी गांधी जी की ये खादी जवान बनी हुई है। गांधी जी के चंपारण सत्याग्रह के 104 साल बाद कपास की इस यात्रा में न जाने कितने मोड़ आए, लेकिन आज ये खादी युवाओं के सिर चढ़कर बोल रही है। खादी का युवाओं के बीच जबरदस्त क्रेज है। युवाओं में खादी के लिए दिलचस्पी जगाने के मद्देनजर खादी अपनी नई योजना के साथ आई है।

यह भी पढ़ें- Independence Day 2021: 15 अगस्त तक नोएडा-गाजियाबाद में ट्रैफिक पुलिस का रूट डायवर्जन, देखें पूरी लिस्ट

आमतौर पर खादी के कपड़ों को लेकर यही धारणा रही कि खादी ट्रेडिशनल और नेताओं का परिधान है, लेकिन अब ऐसा नहीं है। बापू के चरखे से निकली खादी आज आधुनिकता के फैशन में काफी आगे निकल चुकी है। मेरठ गांधी आश्रम और सुभाष बाजार इसकी पहचान हैं। जहां पर युवाओं की भीड़ सुबह और शाम देखी जा सकती है। युवा खादी के बने फैंसी कपड़ों को खरीदने के लिए दुकानों में दिखाई दे जाते हैं। गांधी आश्रम के शोरूम में भी लेडीज कुर्ता, शर्ट, जेंट्स कुर्ता और अन्य परिधान के लिए लोग जाते हैं। खादी अब केवल बुजुर्गों ही नहीं युवाओं द्वारा भी पहनी जा रही है। विभिन्न डिजाइन व आकर्षक पैटर्न के कारण ही यह युवाओं की पसंदीदा बन गई है।

युवाओं के वार्डरोब में शामिल

मेरठ स्थित गांधी आश्रम के खादी शोेरूम के प्रभारी विजय कुमार बताते हैं कि खादी के कुर्ते, टॉप, कमीज, सूट, साड़ी आदि खरीदने के लिए युवा उनके शोरूम में आ रहे हैं। पहले की अपेक्षा अब खादी की ढेरों किस्में आने से ही इसे लोग अपने वॉर्डरोब में शामिल कर रहे हैं। दाम कम और कई बार छूट चलने के कारण ही आजकल ये युवाओं को आकर्षित कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि खादी को पहले आजादी के समय से ही जोड़ा जाता था। फिर नेता लोग ही खादी के कुर्ते पहने दिखते थे। लेकिन, अब खादी केवल खद्दर में ही नहीं, बल्कि सूती के साथ ही रंगबिरंगे डिजाइन में भी आने लगी है। इसी कारण लोग इसकी खरीदारी समय-समय पर करते रहते हैं।

खादी शोरूम में सूती से लेकर सिल्क खादी के ड्रेस मटेरियल

गांधी आश्रम के खादी शोरूम में सूती व सिल्क खादी के ड्रेस मटेरियल मौजूद हैं, जो लड़कियां सूट बनाने के लिए खरीदती हैं। इसके अलावा लड़के-लड़कियों के लिए खादी के प्लेन व प्रिंटेड कुर्ते, साड़ी आदि भी हैं। राष्ट्रीय पर्व के मौके पर इस पर छूट चलने के कारण सबसे अधिक खरीदारी यहां से होती है। महिलाओं के लिए 150 से 300 रुपए के बीच में बढ़िया सा कुर्ता आसानी से मिल जाता है। वहीं सिल्क के आइटम 2000 रुपए से शुरू हैं। विजय के अनुसार, गर्मी के मौसम में युवा पतले सूती कुर्ते पसंद करते हैं। विशेष तौर पर लड़के लम्बे या शॉर्ट रंगीन कुर्ते खरीदते हैं। इसके अलावा खादी की कमीज भी बेहद डिमांड में रहती है। सूती खादी, कॉटन सिल्क, मसलिन आदि में लड़कों के लिए लम्बे व शॉर्ट कुर्ते व धोती उपलब्ध है। वहीं लड़कियों के लिए टॉप, शॉर्ट कुर्ते, कुर्ता-सलवार, साड़ी, सूट मैटीरियल खादी ग्रामोद्योग में आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं।

यह भी पढ़ें- Independence Day 2021: स्वतंत्रता दिवस पर दुल्हन की तरह सजाया जाएंगे यूपी के सरकारी भवन