
मेरठ। 'तमाम इंसान एक ही हैं, भले ही अलग-अलग जाति, अलग-अलग मजहब हैं, लेकिन सब एक ही हैं। सबका खुदा एक ही है। मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा यह सब एक ही आस्था के प्रतीक हैं। उनकी रीति रिवाज अलग हो सकते हैं, लेकिन खुदा एक ही है। सब का मकसद एक ही है। भगवान की सारी कायनात में खुदा की मौजूदगी है। अगर हम कायनात पर गौर करेंगे तो हमें खुदा से प्यार होगा। हम लोग मजहबी कट्टरता को छोड़कर अमन, ईमान, इंसानियत और भाईचारे को तवज्जो दें।' ये बातें म ौलाना कारी अफ्फान ने जलसे में कहीं।
यह कहा मौलाना ने
मेरठ (Meerut) के गुदड़ी बाजार स्थित मस्जिद में पैगामे-अमन और भाईचारे को लकर एक जलसा आयोजित किया गया। जलसे में मुस्लिम समाज के उलेमाओं और मौलवियों ने शिरकत की। इसमें देश की तरक्की, अमन और भाईचारे की बातें की गईं। जलसे में कलियर पीर से आए मौलाना शफी ने कहा कि माना कि किसी-किसी जगह कुछ मसलों पर कुछ मजहबी मुखालफत हो सकती है। जैसा कि आज राम मंदिर, सीएए (CAA) और एनआरसी (NRC) को लेकर है। ये सिर्फ हमारी सदियों पुरानी गंगा-जमुनी तहजीब और कौमी एकता को ललकार रहा है, लेकिन चंद हवाओं के झोंकों से हिन्दुस्तान न कभी बिखरा है, ना कभी बिखरेगा। हमारे मुल्क में न्यायपालिका को अहम दर्जा मिला हुआ है। उसके द्वारा लिए गए फैसले हमेशा ही देश हित में होते हैं।
अमन-चैन की दुआ के लिए अदा की नमाज
उन्होंने कहा कि अतः इस मसले पर भी न्यायपालिका पर भरोसा रखते हुए सभी हिन्दुस्तानियों को एकजुट होकर नाजुक मसले में आने वाले फैसले को देशहित में मानकर अपनी वतन परस्ती का सबूत देना चाहिए। जिस तरह से कुरान में सबको मिलकर रहने को कहा गया है, आज हम सभी हिन्दुस्तानियों को एकजुट होकर अमन-ओ-भाईचारे को बरकरार रखना है। कारी सुल्तान ने कहा कि अब हमारे मुल्क को मजबूत बनाने के लिए हमें मजहब की कट्टरता को खत्म करके आगे आना होगा। एक ऐसा मजहब बनाना होगा, जिसमें सभी इंसान एक-दूसरे के हमदर्द बनकर आगे आएं। इसके बाद मस्जिद में देश की अमन और चैन की दुआ के लिए नमाज अदा की गई।
Updated on:
22 Jan 2020 11:53 am
Published on:
22 Jan 2020 11:52 am
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