
मेरठ. कोरोना संक्रमण से पहले अक्सर महिला थाने में सुबह से ही लोगों की भीड़ जुट जाती थी। ये वो भीड़ होती थी जो पति-पत्नी के बीच दरक रहे रिश्तों और उनके टूट रहे घर को बसाने के लिए पुलिस की मदद के लिए आती थी। इनमें लड़का और लड़की के परिजनों के अलावा रिश्तेदार भी शामिल होते थे, लेकिन जबसे कोरोना संक्रमण बढ़ा और इसकी रोकथाम के लिए सतर्कता बरती तो अपने रूठों को मनाने का सिलसिला ही थम गया। थाने से परिवार परामर्श केंद्र पिछले तीन महीने से नहीं लगा है।
हालात ये है कि करीब 50 से अधिक मामलों में मिया-बीबी के रिश्ते दरक रहे हैं और उनके घर टूटने के कगार पर हैं। वहीं नारी उत्थान केंद्र में भी ताला डाल दिया गया है। महिला उत्पीड़न के ज्यादातर मामलों को महिला थाने और नारी उत्थान केंद्र में काउंसिलिंग के लिए ही भेजते हैं। यहां काउंसिलिंग करके टूटे घरों को बसाने की कोशिश की जाती है। रोजाना कोई न कोई घर बस ही जाता था, लेकिन जबसे लॉकडाउन हुआ तबसे हर रोज लोग आकर वापस लौट रहे हैं।
दरअसल, लिसाड़ी गेट थाना क्षेत्र की एक महिला को उसके पति ने मारपीट करके घर से निकाल दिया। पीड़िता इंसाफ की गुहार लगाने के लिए एसएसपी के पास गई। वहां से मामला नारी उत्थान केंद्र भेज दिया गया, लेकिन अभी तक कोई काउंसिलिंग नहीं हो पाई है। इसी तरह हस्तिनापुर के एक गांव निवासी महिला की शादी गांव के ही एक युवक संग हुई। पति ने मारपीट कर निकाल दिया। अब सुलह समझौते के जरिए सुलझाने के लिए नारी उत्थान केंद्र भेजा गया है।
नारी निकेतन की प्रभारी आरती त्यागी बताती हैं कि लॉकडाउन से पहले के कई विवाद लंबित पड़े थे। लॉकडाउन के बाद से और मामले महिला उत्पीड़न के आ चुके हैं। कोरोना संक्रमण के कारण सतर्कता की वजह से काउंसिलिंग बंद कर दी गई है। इसके बाद क्या फैसला होगा, यह भी पता नहीं है। ढाई सौ से ज्यादा विवाद लंबित चल रहे हैं। कोरोना से राहत मिले तो कुछ काम भी हो।
Published on:
30 Jun 2020 01:01 pm
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