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VIDEO: नकल माफिया अरविंद राणा को एसटीएफ ने दबोचा, जानिए सॉल्वर गैंग बनाकर कितनी सम्पत्ति जुटाई इसने

Highlights एसटीएफ ने मेरठ के पल्लवपुरम क्षेत्र से गिरफ्तार किया नकल माफिया के यूपी समेत छह राज्यों में जुड़े थे तार पेपर आउट कराने व सॉल्वर बिठाने का काम था गैंग का  

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मेरठ। मेरठ एसटीएफ (Meerut STF) ने सॉल्वर गैंग के कुख्यात नकल माफिया अरविंद राणा (Arvind Rana) को मेरठ पल्लवपुरम क्षेत्र की अक्षरधाम कालोनी में उसके फ्लैट से दबोचा। उसके पास से दिल्ली क्राइम ब्रांच द्वारा जारी दो नोटिस, मोबाइल फोन, आई-20 कार व कई कागजात बरामद किए गए हैं। मूल रूप से शामली के गांव बझेड़ी, झिंझाना का निवासी यह नकल माफिया करीब 15 साल से गैंग चला रहा था। उसके गैंग (Gang) से करीब 200 सॉल्वर (Solver) जुड़े हुए हैं।

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एसटीएफ सीओ बृजेश कुमार सिंह के अनुसार वह यूपी, रेलवे, एसएससी और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में सॉल्वर बिठाकर अथ्यर्थियों से करोड़ों की ठगी कर चुका है। पुलिस ने उस पर 25 हजार का इनाम घोषित कर रखा था। यूपी पुलिस, दिल्ली क्राइम ब्रांच, हरियाणा, राजस्थान और उत्तराखंड पुलिस को उसकी तलाश थी। पूछताछ में उसने बताया कि उसके पास अलग-अलग परीक्षाओं के सॉल्वर थे, जो लिखित परीक्षा देने में कामयाब भी हुए। कपड़ों में छोटी डिवाइस लगाकर उन्हें परीक्षाओं में बिठाया जाता था। सॉल्वर डिवाइस और ब्लूटूथ की सहायता से परीक्षा देते थे। बताया गया कि उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती परीक्षा और दिल्ली की सीजीएल परीक्षा में सेंधमारी में वांटेड चल रहा था। साल 2013 में अरविंद ने कोर्ट में सरेंडर किया था। कुछ दिनों बाद जमानत पर रिहा होने के बाद से वह फरार चल रहा था।

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एसटीएफ के अनुसार वह वर्तमान में मेरठ के पल्लवपुरम क्षेत्र की अक्षरधाम कालोनी में रह रहा था। बीएससी करने के बाद एमए की पढ़ाई की। बड़ौत में कोचिंग सेंटर खोला। उसके पास इस समय तीन गाडिय़ां, बागपत में जमीन और बड़ौत में मकान है। अपने पैतृक गांव में भी परिवार के सदस्यों के नाम पर जमीन खरीदी। शामली में 50 लाख रुपये के दो प्लाट खरीदे। अक्षरधाम कालोनी में पत्नी के नाम फ्लैट खरीदने की बात भी नकल माफिया अरविन्द राणा ने कबूल की है।

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एसटीएफ की पूछताछ में नकल माफिया ने बताया कि यूपी के अलावा बिहार, उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली के भी सॉल्वर शामिल किए थे, जो अरविंद् से पिछले दस साल से जुड़े थे। करीब 10 करोड़ रुपये की सम्पत्ति अवैध तरीके से अर्जित की। सीओ बृजेश कुमार सिंह का कहना है कि पिछले पांच साल में वह 50 से ज्यादा मोबाइल फोन बदल चुका है। इस दौरान उसने कहीं पेपर आउट कराए तो किसी परीक्षा में सॉल्वर बिठाए। साल 2013 में अरविंद राणा ने कोर्ट में सरेंडर किया था, लेकिन कुछ दिनों बाद ही वह जमानत पर रिहा हो गया था। इसके बाद उसने कई परीक्षाओं के पेपर आउट कराए।