
मेरठ. आखिरकार हरिओम आनंद आत्महत्या प्रकरण के 25 दिन बाद पुलिस को रिपोर्ट दर्ज करनी ही पड़ी। मुकदमा थाना नौचंदी में दर्ज किया गया है, जिसमें सुभारती के ट्रस्टी डाॅ. अतुल कृष्ण भटनागर उनकी पत्नी मुक्ति भटनागर और शेयर होल्डर तथा फाइनेंसरों समेत नौ लोगों को एफआईआर में नामजद किया गया है। मुकदमे में सभी को आईपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिए मजबूर करना) का आरोपित बनाया गया है। मुकदमा दर्ज करने के बाद भी एफआईआर को दिनभर छिपाने की कवायद भी चलती रही।
पुलिस के इस कदम के बाद अब सवाल यह उठने लगा है कि उन्हें जब मानसी आनंद की तहरीर पर ही मुकदमा दर्ज करना था तो एक माह का लंबा समय क्यों लगाया गया? हालांकि अधिकारी का दावा है कि मुकदमे में एसपी सिटी की जांच रिपोर्ट को भी शामिल किया जाएगा। नौचंदी थाने में मुकदमा दर्ज होने के बाद आरोपित पक्ष में भी हलचल मच गई है। मुकदमा दर्ज करने के बाद कप्तान ने एसआइटी का गठन भी कर दिया है, जिसके प्रभारी एसपी क्राइम रामअर्ज को बनाया गया है। उनके अधीन दो इंस्पेक्टर और साइबर एक्सपर्ट से लेकर चार्टर्ड एकाउंटेंट तक से राय लेने की अनुमति प्रदान की गई है, ताकि आत्महत्या के सभी पहलुओं पर गौर किया जा सकें।
मानसी आनंद की शिकायत पर एसपी सिटी ने 25 दिनों तक जांच की। उसके बाद एसएसपी को रिपोर्ट पेश कर दी। एसएसपी ने पहले हरिओम आनंद के द्वारा कप्तान को लिखे गए पत्र पर मुकदमे की संस्तुति की। मानसी से भी दूसरी तहरीर लेने की कोशिश हुई, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। उसके बाद कानूनी रायशुमारी की गई। अंत में एसएसपी ने मानसी आनंद की तरफ से दी गई तहरीर पर ही मुकदमे के आदेश कर दिए। इस बारे में जब एसपी सिटी डाॅ. एएन सिंह से बात की गई तो उनका कहना था कि प्रकरण की रिपोर्ट थाना नौचंदी में दर्ज की जा चुकी है। जल्द ही आरोपियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई करेगी।
Published on:
27 Jul 2020 11:33 am
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