
मेरठ. इन दिनों सोशल मीडिया पर भारतीय सेना काे लेकर एक वीडियो जमकर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में भारतीय सेना में 1965 तक मुस्लिम रेजीमेंट होने का दावा किया जा रहा है। जब हमने इस दावे को लेकर मेरठ कैंट के रक्षापुरम निवासी रिटायर्ड मेजर रविंद्र सिंह से बात कि तो उन्होंने इस विषय पर कुछ अहम जानकारी दी। जाट रेजीमेंट से रिटायर्ड मेजर रविंद्र सिंह ने कहा कि सेना में धर्म के नाम कोई भेदभाव नहीं होता है। वह कहते हैं कि उनकी रेजीमेंट में कुछ मुस्लिम सैनिक जरूर मुस्लिम रेजीमेंट बनाने की बात करते थे, लेकिन उन्होंने कभी खुलकर इस मांग को नहीं उठाया। ...तो आइये जानते हैं कि क्या 1965 तक सचमुच सेना में मुस्लिम रेजीमेंट थी? और क्या है वायरल वीडियो की सच्चाई?
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा ये वीडियो
आजकल सोशल मीडिया पर ढाई मिनट का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि भारतीय सेना में आज भले ही मुस्लिम रेजिमेंट नहीं है, लेकिन 1965 सेना मुस्लिम रेजिमेंट थी। वीडियो में यह भी दावा किया गया है कि जब 1965 में भारत-पाकिस्तान की पहली लड़ाई हुई थी तो उस दौरान मुस्लिम रेजिमेंट ने पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाई लड़ने से साफ मना कर दिया था। उस दौरान करीब 20 हजार मुस्लिम सैनिकों ने पाकिस्तान के सामने हथियार डाल दिए थे। उस समय भारतीय सेना को बड़ी मुश्किलों से दो-चार होना पड़ा था। इसके बाद मुस्लिमों की रेजिमेंट पर प्रतिबंध लगाते हुए उसे खत्म कर दिया गया था।
वायरल वीडियो का सच
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो को लेकर जब हमने पड़ताल कि तो पाया कि भारतीय सेना में गोरखा रेजीमेंट, राजपूत रेजीमेंट, सिख रेजीमेंट, जाट रेजीमेंट, सिख रेजीमेंट, असम रेजीमेंट और ग्रेनेडियर रेजीमेंट हैं, लेकिन मुस्लिम रेजीमेंट का जिक्र कहीं नहीं मिलता है। वहीं 1965 में भारत-पाकिस्तान की जंग में मुस्लिमों के हथियार डालने की बात गलत है, क्योंकि 1965 के युद्ध के सबसे बड़े हीरो एक मुस्लिम ही थे। उस युद्ध में पाकिस्तान के टैंक ब्रिगेड को भारत के वीर सैनिक अब्दुल हमीद ने ही पस्त किया था। इसके लिए उन्हें मरणोपरांत देश के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से नवाजा गया था।
भारतीय सेना में धर्म नाम की कोई चीज नहीं
जाट रेजीमेंट से रिटायर्ड मेजर रविंद्र सिंह ने बताया कि भारतीय सेना में धर्म नाम की कोई चीज नहीं है। सेना में किसी से कोई भेदभाव नहीं होता है। उन्होंने बताया कि उनकी तैनाती के दौरान जाट रेजीमेंट में कुछ मुस्लिम साथी भी थे। वह सभी बड़े प्रेम भाव के साथ ड्यूटी करते थे। हालांकि वह कहते हैं कि कुछ मुस्लिम साथी उस समय भी दबी जबान मुस्लिम रेजीमेंट बनाने की मांग करते थे, लेकिन वह कभी इसके लिए खुलकर सामने नहीं आए।
Published on:
16 Oct 2019 11:22 am
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