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यूं ही नहीं बदला गया मुलायम सिंह मेडिकल काॅलेज का नाम, बेहद दिलचस्प इसके पीछे की वजह

Highlights- पूर्व सपा नेत्री ने भाजपा में शामिल होने के बाद तैयार की नाम बदलने की पटकथा - मेडिकल कॉलेज का नाम बदलते ही शुरू हुआ राजनीतिक घमासान - माना जा रहा मुलायम सिंह यादव के नाम की वजह से आ रही थी विकास में अड़चन

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मेरठ

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lokesh verma

Nov 06, 2020

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मेरठ. भाजपा के शासन में नाम बदलने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। सपा सरकार के दौरान मेरठ में हापुड़ रोड पर बने मुलायम सिंह यादव मेडिकल कॉलेज (Mulayam Singh Yadav Medical College) का नाम बदलकर अब नेशनल कैपिटल रीजन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (National Capital Region Institute of Medical Sciences) कर दिया गया है। नाम बदलने के साथ ही अब इस मुद्दे पर राजनीतिक घमासान शुरू हो चुका है। सपाई इसे राजनीति से प्रेरित फैसला बता रहे हैं तो वहीं भाजपा नेता खुशी जाहिर कर रहे हैं। बता दें कि यह कॉलेज भाजपा एमएलसी डॉ. सरोजिनी अग्रवाल का है।

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कहते हैं राजनीति मौकापरस्त होती है। मौका चाहे अपना वजूद बचाने का हो या फिर अपना राजनीतिक करियर। कुछ ऐसा ही हुआ मेरठ की महिला राजनीतिज्ञ डॉ. सरोजनी अग्रवाल के साथ। मुलायम सिंह और सपा की वफादार कही जाने वाली डाॅ. सरोजनी की वफादारी सूबे में भाजपा की सरकार आते ही बदल गई। पिछले दो दशक से सपा की साइकिल पर सवार डाॅ. सरोजनी ने जिला पंचायत अध्यक्ष से लेकर एमएलसी तक का सफर तय किया। हालांकि डाॅ. सरोजनी का कोई बड़ा जनाधार नहीं है, लेकिन सामाजिक सरोकारों के चलते उनकी पहचान मेरठ में बनी रही। सपा शासनकाल में ही मेरठ के खरखौदा के पास मेडिकल कॉलेज बनाया गया, जिसका नाम मुलायम सिंह मेडिकल काॅलेज रखा गया। इस मेडिकल कॉलेज की चेयरपर्सन डाॅ. सरोजनी अग्रवाल और अन्य पदों पर उनके परिवार के लोगों को ही रखा गया। सत्ता बदली तो हाथ से मुलायम सिंह मेडिकल कॉलेज भी फिसलता दिखाई दिया। सत्ता परिवर्तन के दौरान ही सपा नेत्री ने भाजपा में अपनी जगह बनाने की कोशिशें शुरू कर दी थीं।

कॉलेज के विकास में आ रही अड़चने हुईं दूर

वैश्य बिरादरी से होने के कारण डाॅ. सरोजनी की भाजपा में राह काफी आसान हो गई। संघ और भाजपा में शीर्ष पर बैठे कुछ पदाधिकारियों से डाॅ. सरोजनी की नजदीकियां रहीं। इन्हीं लोगों ने सरोजनी अग्रवाल के भाजपा में शामिल होेने की राह आसान की। भाजपा में आते ही डाॅ. सरोजनी एमएलसी बनीं। सरोजनी के भाजपा में शामिल होते ही यह कयास लगाने शुरू हो गए थे कि मुलायम सिंह मेडिकल कॉलेज का नाम अब बदल दिया जाएगा।भाजपा में शामिल होने और एमएलसी बनने के बाद जहां डाॅ. सरोजनी अग्रवाल ने अपना राजनीतिक वजूद बचाए रखा, वहीं वे मुलायम सिंह मेडिकल कॉलेज में अपने परिवार का वर्चस्व भी रखने में सफल रहीं। वहीं यह भी माना जा रहा है कि मुलायम सिंह यादव के नाम पर मेडिकल कॉलेज होने की वजह से इसके विकास में अड़चन थी, जिसे नाम बदलने के साथ ही दूर कर लिया गया है।

महापुरूषों के नाम पर होता बवाल

मुलायम सिंह यादव मेडिकल कॉलेज का नाम बदलने की चर्चा शुरू हुई तो भाजपा और संघ से संबंधित कई महापुरूषों के नाम पर चर्चा की गई, लेकिन राजनीति से जुड़े महापुरूषों के नाम पर राजनीतिक बवाल होने की आशंका के चलते किसी ऐसे नाम की तलाश थी, जिस पर किसी को आपत्ति न हो और सपा भी खामोश रहे। इसी के चलते ही मुलायम सिंह यादव मेडिकल कॉलेज का नाम एनसीआर मेडिकल कॉलेज कर दिया गया। नाम बदलने पर सपाइयों ने आपत्ति तो जताई, लेकिन उतना विरोध नहीं किया, जितना कि किसी महापुरूष के नाम पर होता।

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