
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
मेरठ। बाईपास स्थित एक डीम्ड यूनिवर्सिटी कैंपस स्थित मेडिकल कालेज में भर्ती कोरोना मरीज को रेमडेसिविर (remdesivir injection) इंजेक्शन लगाने के बजाय कर्मचारी उसको 25-30 हजार रुपये में बाहर बेचते पकड़े गए। कर्मचारियों को सर्विलांस टीम ने दबोचा है। दरअसल, लखनऊ के बाद मेरठ में भी बड़े पैमाने पर रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के बड़े मामले का पर्दाफाश हुआ है। इस मेडिकल कालेज में बने कोरोना वार्ड में भर्ती मरीजों के परिजनों से इंजेक्शन लगवाने के लिए मंगवाया जा रहा था उसके बाद इसकी कालाबाजारी की जा रही थी।
बता दें कि इस डीम्ड विश्वविद्यालय के कैंपस में वर्ष 2018 में भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी की तीन दिवसीय बैठक भी हो चुकी है। पुलिस ने थाना जानी में मेडिकल कॉलेज के ट्रस्टी पर मुकदमा दर्ज की तैयारी की जा रही है। कोरोना संक्रमण से पीडि़त मरीज के उपचार में प्रयोग होने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी का मेडिकल कालेज में बड़ा मामला सर्विलांस की टीम ने पकड़ा है। मेडिकल कॉलेज के ट्रस्टी और उनके बेटे के खिलाफ भी जांच शुरू हो चुकी है।
ये है मामला :—
मेडिकल कालेज के कोविड वार्ड में गाजियाबाद कविनगर निवासी शोभित जैन भर्ती थे। शोभित जैन को लगाने के लिए परिवार के लोगों ने रेमडेसिविर इंजेक्शन वार्ड में काम करने वाले कर्मचारियों को दे दिया। उसके बाद इंजेक्शन को मेडिकल कालेज के बाहर 25 हजार में बेचा जा रहा था। सूचना के बाद पुलिस ने कर्मचारी आबिद और अंकित को गेट पर ही दबोच लिया। पूछताछ में सामने आया कि इंजेक्शन की जिम्मेदारी ग्रुप के ट्रस्टी की थी।
इस बारे में मेरठ एसपी देहात केशव कुमार ने बताया कि दो लोगों को इंजेक्शन की कालाबाजारी करते गिरफ्तार किया गया है। वहीं मेडिकल कालेज के ट्रस्टी और उनके बेटे के खिलाफ जांच बैठा दी गई है। रेमडेसिविर की कालाबाजारी में बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है। जांच के बाद ही ट्रस्टी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
Published on:
24 Apr 2021 03:16 pm
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