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नई दिल्ली। देश के पूर्व मंत्री अरुण जेटली (Arun Jaitley) का आज यानी रविवार को दिल्ली के निगम बोध घाट पर अंतिम संस्कार किया जाएगा।
जेटली न केवल बेहतर कानूनविद थे, बल्कि विधायी कानून के भी शानदार जानकार थे।
यही वजह है कि उन्होंने राज्यसभा में नेता विपक्ष के नेता के रूप में तत्कालीन मनमोहन सरकार की भी मदद की थी।
दरअसल, जब तत्कालीन यूपीए सरकार में डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे तब भारत-अमरीका परमाणु करार का मसला चल रहा था।
उस समय यूपीए सरकार परमाणु दायित्व विधेयक को मंजूरी देने के लिए संघर्षरत थी।
उस वाकये को याद करते हुए कांग्रेस नेता व महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने बताया कि अरुण जेटली ने विपक्ष के नेता होते हुए भी यूपीए सरकार की मदद की थी।
कांग्रेस नेता के अनुसार जेटली के लिए राष्ट्रहित सर्वोपरी था।
इसलिए उन्होंने सरकार की मदद के लिए परमाणु करार मुद्दे पर भाजपा द्वारा कड़े रुख से खुद को दूर रखा।
वहीं, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शनिवार को पूर्व वित्त व रक्षा मंत्री अरुण जेटली के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि वह एक अच्छे वक्ता और उत्कृष्ट सांसद थे।
सिंह ने कहा कि देश ने एक महान नेता खो दिया, जिसने समाज की बेहतरी के लिए काम किया।
जेटली की पत्नी संगीता जेटली को लिखे अपने शोक पत्र में मनमोहन ने कहा कि वह एक प्रख्यात वकील, एक उत्कृष्ट वक्ता, एक बहुत अच्छे प्रशासक और उत्कृष्ट सांसद थे।
उनके निधन के साथ देश ने एक ऐसा नेता खो दिया, जिसने समाज की बेहतरी के लिए काम किया।"
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि हम ईश्वर से आपको इस नुकसान को सहने का साहस और शक्ति देने की कामना करते हैं। जेटली का शनिवार को एम्स में निधन हो गया, जहां वह नौ अगस्त से भर्ती थे। वह 66 साल के थे।
Updated on:
25 Aug 2019 08:39 pm
Published on:
25 Aug 2019 01:29 pm
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