
केंद्र ने मानवाधिकार आयोग से कहा, 'पत्थरबाजों पर दर्ज मुकदमे रद्द होने से गिरेगा सेना का मनोबल'
नई दिल्ली। कश्मीर घाटी के पत्थरबाजों पर दर्ज मुकदमे रद्द करने को लेकर केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में आपत्ति दर्ज कराई है। तीन जवानों के बच्चों की ओर से दायर की गई याचिका के जवाब में केंद्र सरकार ने कहा, 'जम्मू-कश्मीर सरकार की तरफ से मुकदमे वापस लेने के फैसले से वहां तैनात सुरक्षाबलों का मनोबल गिरेगा। साथ ही स्थानीय नागरिकों को ढाल बनाकर आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के मामले भी बढ़ेंगे।' इस मामले को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू देख रहे हैं। गौरतलब है कि हाल ही में महबूबा मुफ्ती सरकार ने 4327 पत्थरबाजों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने का फैसला किया था।
जवानों के बच्चों ने पूछा अहम सवाल
यह याचिका दो लेफ्टिनेंट कर्नल और एक रिटायर्ड सूबेदार के बच्चों ने लगाई है। याचिका में पूछा गया कि सेना के जवान जो मानवाधिकार हनन का शिकार है क्या उन्हें मानवाधिकारों की रक्षा करने वालों की जरूरत नहीं है? बच्चों ने कहा कि भारत के नागरिक, युवा और खासकर एक सेना के जवान के बच्चे होने के नाते वे उन जवानों को लेकर चिंतित हैं जो अशांत इलाकों में तैनात हैं। बच्चों ने याचिका में शोपियां की उस घटना का भी जिक्र किया जिसमें पत्थरबाजों पर गोली चलाने के बाद मेजर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।
एमनेस्टी इंटरनेशनल पर उठे सवाल
बच्चों ने एमनेस्टी इंटरनेशनल की उस रिपोर्ट का भी जिक्र किया है जिसमें जम्मू-कश्मीर के अशांत इलाकों में स्थानीय लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा की बात की गई है। बच्चों का कहना है कि एमनेस्टी ने वहां तैनात सुरक्षाबलों के मानवाधिकारों की रक्षा से मुंह मोड़ लिया है जिन्हें रोज पत्थरबाजों से जान का खतरा रहता है। केंद्र का कहना है यह राज्य सरकार का दायित्व है कि वह जम्मू- कश्मीर में तैनात सेना के जवानों के मानवाधिकारों को बचाने के लिए पत्थरबाजों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे।
Published on:
06 Jun 2018 08:14 am
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