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चंद्रमा की उत्पत्ति के कारणों की खोज में जुटे वैज्ञानिक, अंतरिक्ष के रहस्यों से भी उठेगा पर्दा

इसरो चांद की सतह पर चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम से संपर्क साधने में जुटा अब लैंडर से कम्यूनिकेशन स्थापित होने की संभावनाएं न के बराबर संपर्क होने के बाद चांद से जुड़ी कई अनसुलझी गुत्थियों को सुलझाया जा सकता है

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नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) चांद की सतह पर चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम से संपर्क साधने में जुटा है।

हालांकि अब लैंडर से कम्यूनिकेशन स्थापित होने की संभावनाएं न के बराबर हैं, बावजूद इसके वैज्ञानिकों ने उम्मीद नहीं छोड़ी है।

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वैज्ञानिकों का मानना है कि लैंडर विक्रम से संपर्क होने के बाद चांद से जुड़ी कई अनसुलझी गुत्थियों को सुलझाया जा सकता है।

वहीं, अमरीकी खगोलविदों का कहना है कि अंतरिक्ष में केवल एक चांद नहीं, बल्कि कई सारे चंद्रमा हैं। जबकि सबसे अधिक चंद्रमा शनि के पास हैं।

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वॉशिंगटन डीसी में कार्नेगी इंस्टीट्यूशन फॉर साइंस के प्रोफेसर डॉ. स्कॉट शेफर्ड ने जानकारी देते हुए बताया कि इन उपग्रहों की खोज से स्पेस विज्ञान को बड़ी मदद मिली है।

इनकी कक्षाओं की स्टडी से उनकी उत्पत्ति की जानकारी की जा सकती है। यही नहीं इससे शनि के निर्माण के समय क्या स्थितियां रही होंगी यह जानकारी भी लगाई जा सकती है।

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शोधकर्ताओं के अनुसार उन्होंने 20 ऐसे नए चंद्रमाओं की खोज की है, जो शनि के चक्कर लगा रहे हैं। इस तरह से अब चंद्रमाओं की संख्या बढ़कर 82 हो गई है।

जबकि बृहस्पति के पास ऐसे केवल 79 चांद हैं, जो लगातार उसकी परिक्रम कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार इन नए उपग्रहों की खोज हवाई में सुबारू टेलिस्कोप की सहायता से की गई है।