7 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

COVID-19 : देश में मई में रोजाना निकला 2 लाख किलोग्राम से ज्यादा बायोमेडिकल वेस्ट

एक नई रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अकेले अस्पतालों द्वारा पिछले महीने हर दिन दो लाख किलोग्राम से अधिक बायोमेडिकल कचरा उत्पन्न हुआ था। इसमें संबंधित जैविक, मानव रक्त और रक्त उत्पाद, दूषित शार्प, शरीर के कटे हुए अंग और अलगाव अपशिष्ट शामिल हैं।

2 min read
Google source verification
Biomedical Waste

Biomedical Waste

नई दिल्ली। महामारी कोरोना वायरस की वजह से कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें से एक बायोमेडिकल कचरे की की मात्रा में तेजी से वृद्धि हुई है। फेस मास्क से लेकर स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले पीपीई किट और परीक्षण के लिए एकत्र किए गए नमूनों से देश में बायोमेडिकल कचरे की मात्रा में भारी वृद्धि हुई है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अकेले अस्पतालों द्वारा पिछले महीने हर दिन दो लाख किलोग्राम से अधिक बायोमेडिकल कचरा उत्पन्न हुआ था। इसमें संबंधित जैविक, मानव रक्त और रक्त उत्पाद, दूषित शार्प, शरीर के कटे हुए अंग और अलगाव अपशिष्ट शामिल हैं।

यह भी पढ़ें :— तीसरी लहर से पहले खुशखबरी: इस महीने आ सकती है बच्चों की स्वदेशी वैक्सीन, टीके के तीसरे चरण का परीक्षण पूरा

मई में प्रतिदिन 2 लाख किलोग्राम से अधिक बायोमेडिकल वेस्ट
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2021 में मई में प्रतिदिन 2,03,000 किलोग्राम COVID-19 बायोमेडिकल अपशिष्ट का उत्पादन किया गया था और यह भारत के गैर-COVID बायोमेडिकल कचरे का लगभग 33 प्रतिशत था। इसने कहा कि मई में प्रतिदिन उत्पन्न होने वाला COVID-19 बायोमेडिकल कचरा अप्रैल की तुलना में 46 प्रतिशत अधिक था, जब प्रतिदिन 1.39 लाख किलोग्राम ऐसे कचरे का उत्पादन किया जाता था। इसकी अत्यधिक जहरीली सामग्री के कारण मानव स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा पैदा हो सकता है।

यह भी पढ़ें :— Corona Update: 6 अप्रैल के बाद आज सबसे कम कोरोना केस, नए मामलों से ज्यादा रिकवरी, मौत पर चिंता बरकरार

मार्च में रोजाना 75 हजार किलो कचरा
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की रिपोर्ट के मुताबिक मार्च में रोजाना का आंकड़ा 75,000 किलोग्राम था। अप्रैल और मई में कोरोनोवायरस मामलों की एक घातक दूसरी लहर देखी गई, जो देश भर में स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे को अपनी सीमा तक ले गई। मई के महीने में 5 राज्यों ने 50 प्रतिशत कचरा उत्पन्न हुआ। रिपोर्ट के अनुसार, केरल, गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली और कर्नाटक ने मई में उत्पन्न COVID-19 बायोमेडिकल कचरे का 50 प्रतिशत योगदान दिया।

क्या कहते हैं नियम
मौजूदा अपशिष्ट निपटान नियमों के तहत बायोमेडिकल कचरे को चार श्रेणियों में विभाजित किया जाता है - पीला (अत्यधिक संक्रामक अपशिष्ट जैसे मानव, पशु, शारीरिक, गंदा), लाल (टयूबिंग, बोतल ट्यूब, सीरिंज जैसी डिस्पोजेबल वस्तुओं से उत्पन्न दूषित पुनर्चक्रण योग्य अपशिष्ट), सफेद (सुइयों सहित अपशिष्ट शार्प, फिक्स्ड सुइयों के साथ सीरिंज) और नीला (दवा की शीशियों सहित टूटा या त्याग दिया और दूषित कांच के बने पदार्थ)।


बड़ी खबरें

View All

विविध भारत

ट्रेंडिंग