
Delhi-NCR Air Pollution: Centre issues ordinance to form new commission
नई दिल्ली। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण ( Delhi-NCR Air Pollution ) नियंत्रण के लिए गुरुवार को "राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्र अध्यादेश में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग" जारी किया है। इस आयोग का उद्देश्य राज्य सरकारों के साथ समन्वय करके दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के कारणों की निगरानी, इससे निपटने और समाप्त करने के लिए एक समेकित दृष्टिकोण को लागू करना है।
यह आयोग एक वैधानिक प्राधिकारण होगा जो 22 वर्ष पुराने सुप्रीम कोर्ट के अनिवार्य पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (EPCA) का स्थान लेगा, जिसने प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इनमें 1998 में दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन को कंप्रेस्ड नेचुरल गैस (CNG) में परिवर्तित करना इसका सबसे महत्वपूर्ण हस्तक्षेप था। इसके अलावा उद्योगों से पेट कोक और फर्नेस ऑयल जैसे प्रदूषणकारी ईंधन को बाहर निकालना और पुराने प्रदूषण फैलाने वाले ट्रकों पर प्रदूषण शुल्क लगाने जैसे उपाय भी अपनाए गए।
नए आयोग के पास उपयुक्त शक्तियां होंगी जो वायु प्रदूषण के खिलाफ युद्ध स्तर पर कार्य कर सकती हैं और एनसीआर राज्यों और केंद्र सरकार के साथ समन्वय करेंगी। इसमें विभिन्न कानूनों के तहत स्थापित विभिन्न वैधानिक प्राधिकरणों को निर्देश जारी करने की शक्ति होगी। अध्यादेश में कहा गया है कि अदालती आदेशों के आधार पर ईपीसीए जैसी विभिन्न तदर्थ समितियां अपने आदेशों के क्रियान्वयन में अदालतों की सहायता के लिए बनाई गई थीं, लेकिन नए आयोग उन्हें किसी नियम के अंतर्गत कर सकते हैं।
अध्यादेश में कहा गया है कि अंतर-क्षेत्रीय, सार्वजनिक भागीदारी, बहु-राज्य निकाय की अनुपस्थिति के कारण सुप्रीम कोर्ट को "विभिन्न चरणों में विभिन्न तदर्थ और स्थायी समितियों के गठन में अपना कीमती समय लगाना करना पड़ा है," और यह एमसी मेहता बनाम भारत संघ मामले के माध्यम से एनसीआर में वायु प्रदूषण की समस्या का मार्गदर्शन और देखरेख कर रहा है।
हालांकि, नया आयोग केंद्र सरकार के तत्वावधान और पर्यवेक्षण के तहत पूरी तरह से काम करेगा। इसमें एनसीआर के सभी राज्यों और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड; संबंधित मंत्रालयों जैसे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, कृषि, वाणिज्य आदि से सदस्य होंगे। आयोग के पास पर्यावरण संरक्षण अधिनियम और वायु अधिनियम जैसे विभिन्न पर्यावरण कानूनों के तहत प्रदूषण स्रोतों के खिलाफ फैसला लेने और कार्य करने की शक्तियां होंगी।
पर्यावरण मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि की कि अध्यादेश गुरुवार को उच्चतम न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा, लेकिन उन्होंने आयोग गठित करने को लेकर आगे कोई टिप्पणी नहीं की।
Updated on:
29 Oct 2020 01:55 pm
Published on:
29 Oct 2020 01:50 pm
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