किसानों का ऐलान- अगर सरकार ने नहीं मानी मांगें, तो मजबूरी में उठाना होगा यह कदम
किसानों की सरकार के साथ दो दौर की वार्ता विफल हो चुकी
हालांकि इससे पहले कंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने अपने बयान में संकेत दिया था कि मोदी सरकार कृषि कानूनों में संशोधन करने को तैयार है। लेकिन किसान कृषि कानूनों की पूरी तरह वापसी से कम पर मानने को तैयार नहीं हैं। यही वजह है कि किसानों की सरकार के साथ दो दौर की वार्ता विफल हो चुकी है और अब शनिवार को तीसरे दौर की बातचीत होनी है।
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सरकार कषि कानूनों में संशोधन करना चाहती है
इससे पहले भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों को पूरा भरोसा है कि पांच दिसंबर को होने वाली बैठक में सरकार उनकी मांगों को मान लेगी। अगर वार्ता विफल होती है और सरकार किसानों की मांगें नहीं मानती तो कषि कानूनों के खिलाफ धरना प्रर्दशन जारी रहेगा। भाकियू नेता ने कहा कि मंगलवार को सरकार और किसानों के बीच हुई बातचीत बेनतीजा रही। सरकार कषि कानूनों में संशोधन करना चाहती है, लेकिन हम इन किसान विरोधी कानूनों को पूरी तरह से वापस लेने की मांग पर कायम हैं। अगर सरकार हमारी मांगों को नहीं मानती तो हम अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे। फिलहाल हमारी नजरे शनिवार को होने वाली बैठक पर टिकी हैं।