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गर्भवती महिलाओं को जॉब नहीं मिल रहा
सरकार ने यह कदम मैटरनिटी लीव को लेकर मिल रही शिकायतों को लेकर उठाया है। सरकार को मिल रही शिकायकतों में कहा गया कि मैटरनिटी लीव की अवधि 12 हफ्ते( 3 महीने) से बढ़ा कर 26 हफ्ते (6 महीने) किए जाने के बाद से कई कंपनियां गर्भवती महिलाओं को जॉब देने से बच रही हैं। कई ऐसी भी शिकायते हैं कि प्रेग्नेंट महिलाओं को नौकरी से ही निकाल दिया गया है। वहीं, इस समस्या के समाधान के लिए सरकार ने एक नई योजना बनाई है।
सात हफ्ते का वेतन सरकार देगी
महिला और बाल विकास मंत्रालय के सचिव राकेश श्रीवास्तव ने बताया कि नियोक्ताओं को भुगतान के लिए लेबर वेलफेयर सेस फंड का इस्तेमाल करने का फैसला लिया गया। इस फंड के तहत कर्मचारियों की भलाई के लिए राज्य सरकारों को पैसा दिया जाता है। बता दें कि मार्च 2017 तक इस फंड में 32632 करोड़ रुपए थे। लेकिन इसमें से मात्र 7500 करोड़ रुपए का ही इस्तेमाल हुआ है। मंत्रालय ने कहा कि इस फंड के जरिए मैटरनिटी लीव के 26 हफ्ते में से सात हफ्ते का वेतन कंपनी को सरकार देगी, जिससे महिला कर्मचारियों को फिर से काम पर लौटने पर समस्या का सामना नहीं करना होगा। इस प्रस्ताव पर श्रम मंत्रालय ने भी सहमति जताई है। मंत्रालय ने कहा कि जल्द ही इस बारे में अधिसूचना जारी कर दी जाएगी
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इन कर्मचारियों पर लागु हो नियम
लेकिन आपको बता दें कि किसी कंपनी या संस्था में काम करने वाली हर गर्भवती महिलाओं को इसका लाभ नहीं मिलेगा। इसके लिए सरकार ने कुछ नियम रखे हैं। महिला और बाल विकास मंत्रालय ने बताया कि यह नया नियम उन महिला कर्मचारियों पर लागू होगा जिनका वेतन प्रतिमाह 15000 रुपए से अधिक है।