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नई दिल्ली। भारतीय स्पेस एजेंसी ISRO को अपने महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 को लेकर एक बार फिर से नई उम्मीद जगी है।
इसका सबसे बड़ा कारण चांद पर सूरज की रोशनी पड़ना है। दरअसल, चांद पर छाई रात की काली छाया के बाद अब दिन निकल आया है।
इसलिए इसरो को यकीन है कि सूरज की रोशनी चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम में एक बार नई जान फूंक देगी। हालांकि यह एक चमत्कार जैसा ही होगा।
लेकिन अगर ISRO लैंडर विक्रम से संपर्क करने में सफल होता है तो यह न केवल भारत के लिए अब तक कि सबसे बड़ी उपलब्धि होगी, बल्कि इससे देश की समृद्धि का द्वार भी खुल जाएगा।
गौरतलब है कि इस मिशन का उद्देश्य चांद पर पानी और ऑक्सीजन की मात्रा का पता लगाना है। ऐसे में यदि चांद पर पानी और ऑक्सीजन पाया जाता है तो वहां बेस कैंप बनाए जा सकेंगे, जहां चांद से संबंधित रिसर्च के साथ अंतरिक्ष के रहस्यों से भी पर्दा उठाया जा सकेगा।
वहीं चंद्रयान 2 को न केवल पानी की मात्रा और स्थिति का पता लगाना है, बल्कि चंद्रमा में हीलियम-3 की उपलब्धता की जानकारी जुटानी है।
आपको बता दें कि धरती पर पर हीलियम-3 बहुत कम मात्रा में उपलब्ध है। नासा के अनुसार चंद्रमा पर हीलियम-3 का प्रचुर भंडार है।
इसको लेकर वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर हम चंद्रमा से धरती पर हीलियम-3 ले आते हैं तो पूरी दुनिया में ऊर्जा की कमी पूरी हो जाएगी। इस हीलियम-3 का इस्तेमाल धरती ऊर्जा पैदा करने में किया जा सकता है।
इसके साथ ही अंतरिक्ष एजेंसियां मंगल ग्रह तक पहुंचने के लिए चांद को लॉन्च पैड का इस्तेमाल कर सकती हैं।
जबकि यहां पाए जाने वाले सोडियम, कैल्शियम, एल्यूमीनियम, सिलिकॉन, टाइटेनियम और आयरन जैसे खनिज पदार्थ भविष्य के मिशन को नया आयाम देने में सहायक होंगे।
Updated on:
06 Oct 2019 02:30 pm
Published on:
06 Oct 2019 02:26 pm
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