6 दशकों की सबसे बड़ी हार पश्चिम बंगाल में 34 साल तक सत्ता में काबिज रही वाममोर्चा की वर्तमान स्थिति पिछले 6 दशकों में सबसे बड़ी हार है। वैसे वामो की हार क ी शुरूआत तो वर्ष राज्य में 2014 में ही हो चुकी थी। सन 1952 के बाद यह पहली बार है कि लोकसभा चुनाव में वाममोर्चा देश भर में दहाई की संख्या तक नहीं पहुंच पाया है। वाममोर्चा ने 2014 में अपना सबसे निराशाजनक प्रदर्शन किया था जिसमें उसने राज्य की केवल 2 सीटें जीती थीं। वहीं वर्ष 2009 में उसने राज्य की 12 सीटें जीती थी।
सोशल साईट पर शून्य से की जा रही है तुलना
पश्चिम बंगाल में वाममोर्चा का खाता नहीं खुलने को लेकर फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम सहित कई सोशल साईटों पर लोग वामो के परिणाम की शून्य से तुलना कर रहे हैं। कुछ मेमे में यह कहा जा रहा है कि आर्यभट्ट ने शून्य का नहीं वामो की हार का अविष्कार किया था। कई जगह शून्य के बराबर में वाममोर्चा की पताका दिखाई जा रही है। इसके साथ ही कई मेमे में कहा जा रहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का सारा श्राप वामो को लग गया और वे चुनाव में खाता ही नहीं खोल पाए शून्य में ही अटक गए।
पश्चिम बंगाल में वाममोर्चा का खाता नहीं खुलने को लेकर फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम सहित कई सोशल साईटों पर लोग वामो के परिणाम की शून्य से तुलना कर रहे हैं। कुछ मेमे में यह कहा जा रहा है कि आर्यभट्ट ने शून्य का नहीं वामो की हार का अविष्कार किया था। कई जगह शून्य के बराबर में वाममोर्चा की पताका दिखाई जा रही है। इसके साथ ही कई मेमे में कहा जा रहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का सारा श्राप वामो को लग गया और वे चुनाव में खाता ही नहीं खोल पाए शून्य में ही अटक गए।