14 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

हाईकोर्ट ने लगाई क्लासः डॉक्टर भी होंगे ग्रेस से पास तो मरीज कैसे लगाएं बचने की आस

ग्रेस मार्क्स (कृपांक) की बदौलत पास होने वाले मेडिकल छात्रों की आलोचना करते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने बेहद सख्त टिप्पणी की है।

2 min read
Google source verification
Grace Marks

नई दिल्ली। ग्रेस मार्क्स (कृपांक) की बदौलत पास होने वाले मेडिकल छात्रों की आलोचना करते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने बेहद सख्त टिप्पणी की है। इस व्यवस्था की आलोचना करते हुए हाईकोर्ट ने कहा अगर फेल हो रहा मेडिकल छात्र ग्रेस से पास होता है और डॉक्टर बनता है तो मरीजों का इलाज भगवान भरोसे रहेगा। कोर्ट की यह अहम टिप्पणी पुडुचेरी के एक निजी कॉलेज की छात्रा की याचिका पर सुनवाई के दौरान आया।

छात्रा की याचिका में नियमों का हवाला
दरअसल, एमबीबीएस तृतीय वर्ष की मेडिकल छात्रा ने मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करके नेत्रविज्ञान के पेपर में ग्रेस मार्क्स देने की मांग की थी। इसके लिए उसने विश्वविद्यालय के नियमों का हवाला देते हुए पांच अंक कृपांक के रूप में दिए जा सकने की बात कही। याचिकाकर्ता दो बार नेत्रविज्ञान के पेपर में फेल हो गई थी। उसने गुहार लगाई थी कि पेपर में पास होने के लिए उसे तीन अंक बतौर ग्रेस मार्क्स देने के लिए पांडिचेरी विश्वविद्यालय को निर्देश दिया जाए। सैद्धांतिक परीक्षा में उसे 29 अंक मिले थे, जबकि पास होने के लिए 32 अंकों की जरूरत थी। ऐसे में ग्रेस से मिले तीन नंबर उसे पास करवा सकते थे।

दिल्ली में फुटपाथ और पार्क में जिंदगी गुजार रही हैं इलाहाबाद हाईकोर्ट की सीनियर वकील

'ऐसी व्यवस्था में भगवान भरोसे रहेंगे मरीज'
मद्रास हाईकोर्ट ने छात्रा की याचिका खारिज कर दी। जस्टिस वैद्यनाथन ने कहा कि इस तरह की व्यवस्था के जरिए नागरिकों को हल्के में लिया जाता है। जज ने याचिकाकर्ता का जिक्र करते हुए कहा कि अगर किसी छात्र को नेत्रविज्ञान के पेपर में कृपांक देकर पास किया जाता है और वह डॉक्टर बन जाता है। ऐसे में डॉक्टर बन कर वह सर्जरी करता है तो आंखों की रोशनी वापस पाने के लिए भगवान भरोसे रहना पड़ेगा।

मोदी सरकार का मालामाल ऑफरः 100 घंटों में कमाइए 2 लाख रुपए, जानिए क्या करना होगा