
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार 2018 में भीमा कोरेगांव हिंसा मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंपे जाने से नाराज है। जानकारी के अनुसार- राज्य सरकार एनआईए की जांच पर रोक लगाने के लिए एडवोकेट जनरल से कानूनी सलाह ले रही है। यह माना जा रहा है कि इस संबंध में कानूनी बारीकियां समझने के बाद राज्य सरकार कोर्ट में इस फैसले को चुनौती दे सकती है।
मामले पर केंद्र और राज्य सरकार में खींचतान
बता दें, दो साल पहले हुई भीमा कोरेगांव हिंसा की जांच को केंद्र सरकार ने बीती 24 जनवरी को एनआईए को सौंप दिया था। तभी से मामले को लेकर राज्य और केंद्र सरकार में खींचतान चल रही है। दूसरी ओर, महाराष्ट्र पुलिस ने एनआईए को भीमा-कोरेगांव हिंसा से जुड़े सबूत देने से मना कर दिया है। राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने भी कह दिया कि जब तक केंद्र से इस मामले में कोई औपचारिक बात नहीं होती, पुलिस एनआईए की मदद नहीं करेगी। देशमुख ने कहा कि- इस मामले में केंद्र सरकार ने कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी है, इसलिए केंद्रीय जांच एजेंसी को सहयोग करना संभव नहीं।
आरोप: जांच NIA को सौंपना असंविधानिक
एनआईए को जांच सौंपने से पहले महाराष्ट्र सरकार ने 23 जनवरी को भीमा-कोरेगांव मामले की समीक्षा की थी। अनिल देशमुख के अनुसार- समीक्षा बैठक में मामले में कुछ केस वापस लेने और जांच एसआईटी से कराए जाने पर चर्चा हुई थी। लेकिन बिना बताए इसकी जांच एनआईए को सौंपना गैर-संविधानिक है।
क्या है भीमा कोरेगांव घटना
यह बात साल 2018 की है। युद्ध का 200वां साल मनाने के लिए भारी संख्या में दलित समुदाय के लोग जमा हुए थे। इसी दौरान अचानक हिंसा भड़क उठी। घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। जबकि कई लोग घायल हुए थे। बता दें, दलित समुदाय के लोग पुणे के पास भीमा कोरेगांव में जमा होते हैं और 'विजय स्तम्भ' के सामने अपना सम्मान प्रकट करते हैं। विजय स्तम्भ ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1818 के युद्ध में शामिल महार योद्धाओं की याद में बनवाया था। इन योद्धाओं को पेशवा के खिलाफ जीत मिली थी।
Updated on:
29 Jan 2020 12:47 pm
Published on:
29 Jan 2020 12:00 pm
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