
नई दिल्ली। भारत की तीन दिवसीय दौरे के क्रम में बुधवार को अमरीकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल से मिले। जानकारी के मुताबिक भारत रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम डील पर आज अमरीका को दो-टूक जवाब दे सकता है। पोम्पियो के साथ बातचीत के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर इस मुद्दे पर भारत का रुख मजबूती से रखेंगे।
बता दें कि अक्टूबर, 2018 में रूस और भारत के बीच एस-400 ट्रायम्फ मिसाइल डील के बाद से अमरीका नाराज चल रहा है। उसके बाद से डिफेंस डील, ट्रेड वार, ई-कॉमर्स सहित कई मुद्दों पर दोनों देशों के बीच तनातनी जारी है। इस बीच दो दिवसीय दौरे पर अमरीकी विदेश मंत्री माइक्रो पॉम्पियो दिल्ली पहुंच गए हैं।
मुलाकात से तय होगा रिश्तों का ग्राफ
पोम्पियो और जयशंकर ( pompeo and Jayshankar ) की मुलाकात को अहम माना जा रहा है। मुलाकात के दौरान भारत और अमरीका के दो प्रमुख नेता मिलकर आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच के रिश्ते की दिशा का रुख तय करेंगे।
रक्षा सौदा अहम
भारत सरकार देश की सुरक्षा को लेकर कई बड़े कदम उठा रही है। इनमें सबसे अहम अमरीका के साथ हो रहे रक्षा सौदे ( Defence deal ) भी शामिल हैं। मोदी सरकार दूसरे कार्यकाल के पूर्वाद्ध में ही अमरीका से करीब 10 बिलियन अमरीकी डॉलर यानी करीब छह खरब रुपए का रक्षा हथियारों के लिए अनुबंध कर सकती है।
आतंकवाद पर एक साथ
दोनों देश आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक-साथ हैं। हाल ही में जैश ए मोहम्मद सरगना अजहर मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित कराने में अमरीका ने अहम भूमिका निभाई थी।
रूस से रक्षा सौदा
अक्टूबर 2018 में रूस के साथ एस-400 ट्रायम्फ मिसाइल खरीदने के बाद भी अमरीका ने भारत के साथ रिश्ते तल्ख कर लिए थे। मार्च, 2019 में भारत ने परमाणु क्षमता वाली हमलावर पनडुब्बी अकुला-1 को 10 साल के लिए पट्टे पर रूस से लिया था।
ट्रेड वार
अगर माइक पोम्पियो और एस जयशंकर ( Mike Pompeo and S jayshankar ) के बीच मुलाकात के बाद दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों की मुलाकात होती है तो यह ट्रेड-वार को खत्म करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है। दोनों देशों में ट्रेड वार की वजह दोनों राष्ट्र प्रमुखों की ओर से घरेलू उत्पादन और अपने देश में सामान बनाने के अभियान हैं।
पीएम मोदी का मेक इन इंडिया और ट्रंप के मेक ग्रेट अमरीका अगेन के चलते ही दोनों देशों में ट्रेड-वार जैसी स्थिति बनी हुई है।
टैरिफ
जून, 2019 में भारत को 44 साल पहले मिला कारोबारी वरीयता का दर्जा अमरीका की ओर से वापस ले लिया गया है। डोनाल्ड ट्रंप सरकार ने 5 जून से भारत के करीब 2 हजार उत्पादों को प्रवेश शुल्क में दी गई छूट को खत्म कर दिया था। इस फैसले से भारत के कुछ उत्पाद अमरीकी बाजार में महंगे हो गए हैं। इससे भारत की प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता प्रभावित हुई है। भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए अमरीकी उत्पादों पर टैक्स बढ़ा दिए हैं।
ई-कॉमर्स
अमरीका ने भारत को बताया था कि वह डेटा स्टोरेज की जरूरत वाले देशों के लिए H-1B वीजा प्रोसेस को बैन करने पर विचार कर रहा है। H-1B कुशल विदेशी श्रमिकों के लिए अमरीकी वीजा जारी करता है। विदेश विभाग के एक प्रवक्ता के मुताबिक ट्रंप प्रशासन के पास उन राष्ट्रों पर रोक लगाने की योजना नहीं है, जो विदेशी कंपनियों को स्थानीय स्तर पर डेटा स्टोर करने के लिए रोक रहे हैं।
हुवावे के मुद्दे पर अमरीका चाहता है भारत का साथ
अमरीका ने चीन की बड़ी टेलीकॉम कंपनी हुवावे और उसकी मुख्य वित्तीय अधिकारी मेंग वानझू के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज कराए थे। इन पर बैंक जालसाजी, न्याय में रुकावट डालने और अमरीकी कंपनी टी मोबाइल की तकनीक चुराने के बाद 23 मामले दर्ज कराने बाद अमरीका ने चीन पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिया था। इससे भारत के सामने ये बाधा खड़ी हो गई कि ये चीनी कंपनियों को भारत में 5जी के ट्रॉयल के लिए बुलाए या ना बुलाए?
Updated on:
26 Jun 2019 02:08 pm
Published on:
26 Jun 2019 10:02 am
बड़ी खबरें
View Allविविध भारत
ट्रेंडिंग
