सेना को और ताकतवर बनाने की जरूरत इससे पहले मोहन भागवत ने कहा कि सीमा पर और सुरक्षा बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने देश की सेना को और ताकतवर बनाने की बात भी की। गोली का जवाब गोली से दे सकते हैं। सुरक्षा के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं। हमल बलवान होंगे तो शांति होगी। साथ ही भागवत ने कहा कि अपनी सेना तथा रक्षक बलों का नीति धैर्य बढ़ाना, उनको साधन-सम्पन्न बनाना, नयी तकनीक उपलब्ध कराना आदि बातों का प्रारम्भ होकर उनकी गति बढ़ रही है। दुनिया के देशों में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ने का यह भी एक कारण है।
पाकिस्तान पर बोला हमला मोहन भागवत ने पाकिस्तान पर भी निशाना साधा उन्होंने कहा पड़ोस में सरकार बदल गई है पर नीयत नहीं। हमें अपने दुश्मनों से सतर्क रहने की जरूरत है। भारत विश्व गुरु बनेगा
उन्होंने अपने भाषण में कहा कि भारत विश्व गुरु बनेगा। भागवत ने कहा कि भारत अगर पंचामृत के मंत्र पर आगे बढ़ेगा तो एक बार फिर विश्वगुरू बन सकता है। एक भयानक आंधी बाबर के रूप में आई और उसने हमारे देश के हिंदू-मुसलमानों को नहीं बख्शा। उसके नीचे समाज रौंदा जाने लगा। उन्होंने बताया सांस्कृति जागरत की परंपरा लगातार चल रही है। बकौल भागवत हमारे देश में राजनीति में प्रयोग हुए। सत्या और अहिंस के आधार पर हमारे देश में राजनीति हुई। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस जैसे स्वतंत्रता सेनानियों को भी याद किया। उन्होंने कहा महात्मा गाँधीजी के जन्म का 150वाँ वर्ष है ने इस देश के स्वतंत्रता आन्दोलन को सत्य व अहिंसा पर आधारित राजनीतिक अधिष्ठान पर खड़ा किया। ऐसे सभी प्रयासों के कारण देश की सामान्य जनता स्वराज्य केलिए घर के बाहर आकर, मुखर होकर अंग्रेजी दमनचक्र के आगे नैतिक बल लेकर खड़ी हो गई।
अमरीका: डोनाल्ड ट्रंप की पत्नी मेलानिया के विमान से निकला धुआं, बेस पर वापस बुलाया गया क्या बोले कैलाश सत्यार्थी समारोह में मुख्य अतिथि श्री कैलाश सत्यार्थी जी ने कहा, “आपने मुझे अपने स्थापना दिवस पर यहाँ आमंत्रित करके भारत के ही नहीं, बल्कि विश्व के करोड़ों वंचित और शोषित बच्चों की तरफ सम्मान, प्रेम और करुणा का हाथ बढ़ाया है। मैं उन सबकी तरफ से आपका ह्रदय से आभारी हूँ ।
मोहन भागवत ने की शस्त्र पूजा संघ प्रमुख मोहन भागवत समेत केंद्रीय मंत्री नीतिन गड़करी भी समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे हैं। स्थापना दिवस के अवसर पर नागपुर में संघ द्वारा पथ संचलन (रूट मार्च) का आयोजन किया गया। संघ प्रमुख मोहन भागवन की मौजूदगी में स्वयंसेवकों ने पथ संचलन किया। जिसमें सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित और सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी इस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए हैं। आरएसएस की तरफ से हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी विजय दशमी उत्सव में शस्त्र पूजन किया गया। मोहन भागवत ने शस्त्र पूजा की। बता दें कि अपने स्थापना दिवस को संघ पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाता है। इस मौके पर संघ प्रमुख मोहन भागवत स्वयंसेवकों की मौजदूगी में अपना वार्षिक भाषण भी देते हैं। कार्यक्रम में देश-विदेश से कई कार्यकर्ता शामिल होते हैं।
नागपुर में हुई थी संघ की स्थापना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना सन् 27 सितंबर 1925 को विजयादशमी के दिन मोहिते के बाड़े नामक स्थान पर डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार ने की थी। संघ के 5 स्वयंसेवकों के साथ शुरू हुई विश्व की पहली शाखा आज 50 हजार से अधिक शाखाओ में बदल गई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का 39 देशों में नेटवर्क है। विदेशों में संघ की लगभग एक हजार शाखाएं ‘हिंदू स्वयंसेवक संघ’ के नाम से लगती हैं। संघ के 36 से ज्यादा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठन हैं।