
हवा से ऑक्सीजन को अलग करना भी एक वैज्ञानिक और तकनीक है।
नई दिल्ली। कुछ समय पहले डेनमार्क की विंड एनर्जी कंपनी को पीएम नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi ) ने टरबाइन के जरिए हवा से पानी निकालने की संभावना का पता लगाने को कहा था। उनके इस सुझाव का विपक्षी दलों के नेताओं ने मजाक उड़ाया था। अब वैज्ञानिकों ने कहा है कि पीएम की बात आम लोगों के लिए हैरान करने वाला था, लेकिन हवा से पानी हासिल करना संभव है। इस तरह की तकनीक का इस्तेमाल कुछ जगहों पर पहले से हो रहा है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसा भारत में भी हो रहा हैं। ये बात अलग है कि इस प्रक्रिया में अभी विंड मिल का इस्तेमाल नहीं होता है।
इस आइडिया पर काम करने की जरूरत
विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड के सचिव संदीप वर्मा ने कहा कि हवा से चलने वाली टरबाइन में नमी वाली हवा से पानी प्राप्त करने के लिए सही डिजाइन मौजूद हैं। इस आइडिया पर कई स्थानों पर काम हो रहा है। इस मामाले में हमारे सामने चुनौती इस आइडिया पर काम करने की है।
विंड टरबाइन स्वच्छ ऊर्जा का स्रोत
वहीं विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव आशुतोष शर्मा ने कहा कि हवा से ऑक्सीजन को अलग करना भी एक वैज्ञानिक और तकनीक है। गैस को अलग करने में लगी कई कंपनियां नियमित रूप से ऐसा करती हैं। उनके मुताबिक इस प्रक्रिया में विंड टरबाइन का इस्तेमाल स्वच्छ ऊर्जा के स्रोत के रूप में की जा सकती हैं। आशुतोष शर्मा ने का कहना है कि इसके लिए हमें हवा को उच्च दर से गुजारने की जरूरत है। हमें इन प्रक्रियाओं को और अधिक कारगर बनाना होगा।
हैदराबाद की कंपनी ने विकसित की तकनीक
हैदराबाद स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी ने निजी क्षेत्र की कंपनी मैथरी एक्वाटेक के साथ एक तकनीक विकसित की है। ताकि वायुमंडल से पानी प्राप्त किया जा सके। यह कई स्थानों पर काम रही है। लेकिन इसमें अभी विंड टरबाइन शामिल नहीं हैं।
Updated on:
11 Oct 2020 02:56 pm
Published on:
11 Oct 2020 10:47 am
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