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लॉकडाउन पर आगे बढ़ने से पहले पीएम मोदी ने तैयार कर लिया था इमरजेंसी प्लान

बिगड़े हालात तो प्लान बी पर एक्शन लेगी सरकार रिस्क मैनेजमेंट के लिए कोविड-19 में है खाका तैयार मोदी सरकार देशहित में कुछ भी करने को तैयार

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नई दिल्ली। कोरोना वायरस के संभावित भयंकर दुष्परिणाम से देश को बचाने के लिए मोदी सरकार ने मंगलवार को लॉकडाउन लागू करने का साहससिक ऐलान कर सबको चौंका दिया। पीएम मोदी ने दावा किया है कि देश का हित इसी में सुरक्षित है। लेकिन मोदी सरकार के इस साहसिक और देश की अर्थव्यवस्था के लिहाज से रिस्की निर्णय पर अब सवाल उठने लगे हैं। कांग्रेस ने सबसे पहले इस पर सवाल उठाते हुए इसकी तुलना नोटीबंदी पार्ट—टू के रूप् में की है।

लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि मोदी सरकार को फैसले पर सवाल उठने का पहले से अंदाजा था। इसलिए लॉकडाउन की स्थिति में किसी भी अनहोनी से निपटने के लिए केंद ने एक सिक्रेट प्लान पहले ही तैयार कर लिया था। इसके बाद मोदी सरकार ने देशभर में लॉकडाउन की घोषणा करने का निर्णय लिया। सबकुछ तय हो जाने के बाद प्लान के मुताबिक पीएम मोदी ने कोरोना वायरस (Coronavirus) को लेकर मंगलवार को राष्ट्र को एक बार फिर संबोधित किया।

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पीएम मोदी ने मंगलवार को ऐलान किया कि अगले 21 दिनों तक देश में संपूर्ण लॉकडाउन (Lockdown) रहेगा। हर व्यक्ति को नियमों का पालन करना होगा। ऐसा करने में सबका हित है। इस घोषणा के बाद से लोग यह सोच रहे हैं कि जब सब कुछ बंद रहेगा तो सरकार कैसे काम करेगी। देश की अर्थव्यवस्था चरमरा सकती है। करोड़ों मजदूरों और सर्विस सेक्टर से जुड़े नौकरीपेशा लोग बेरोजगार हो सकते हैं।

लेकिन हम आपको बता दें कि सरकार ने इसका पूरा इंतजाम कर लिया है। सरकार की ओर से एक आसान सी चिट्ठी जारी की गई जिसकी हेडिंग है,'कोविड -19 के प्रसार को रोकने के लिए निवारक उपाय'। इस चिटठी को विभागीय स्तर पर एक महत्वपूर्ण नोटिस माना जा रहा है। इसी चिट्ठी में सभी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और स्वायत्त संस्थानों के लिए लागू की गई प्रभावी सरकारी कामकाज और सरकार के कामकाज को लेकर 'प्लान बी' का जिक्र है।

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इस बाबत एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि मोदी सरकार ने सोशल डिस्टेंसिंग को लागू करते से पहले कई स्तरों पर इसकी जांच हुई। जांच रिपोर्ट आने के बाद देश के दो बड़े प्रशासनिक संस्थानों ने इसे अंतिम रूप दिया। इस प्लान को अंतिम रूप देने में कैबिनेट सचिवालय और कार्मिक मंत्रालय के नौकशाह शामिल हैं।

मीडिया रिपोर्ट की मानें तो इस प्लान पर काम करने के लिए वीडियो कॉंफ्रेंसिंग को महत्वपूर्ण टूल्स के रूप में उपयोग किया जाएगा। जब मैटर पूरा हो जाएगा, इसे प्रिंट कर दस्तखत कराने के बाद संबंधित अधिकारियों को फैक्स और मेल कर दिया जाएगा। इसके लिए पीएम किसान योजना, डीबीटी और राष्ट्रीय पेंशन स्कीम के लिए एनआईसी के अधिकारियों को जिम्मेदाीर सौंपी गई थी। जब इस बात की तसल्ली हो गई कि अब लॉकडाउन होना ही है, तब एनआईसी ने सॉफ्टवेयर को कंफिगर करने का काम त्वरित कार्यवाही के तहत पूरा किया।
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए मोदी सरकार के पास प्राइवेट लाइन्स बैकअप में है।

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विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक डे टू डे एडमिनिस्ट्रेशन में राज्यों की सहायता करना है, कुछ सबसे बड़े वित्त पोषित राष्ट्रीय कार्यक्रम चल रहे हैं और वित्तीय निर्णय लेने में शामिल सभी विभागों को चलाना है। शहरी विकास मंत्रालय के तहत कृषि में पीएम-किसान, और मेट्रो रेल जैसी स्टीयरिंग योजनाओं को कई श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया।

बता दें कि फैसले तक पहुंचने के लिए 14-15 मार्च से ही काम जारी था। हर मंत्रालय के अधिकारियों ने अपनी-अपनी योजनाओं को मंत्रिमंडल सचिवालय तक पहुंचाया। दूसरे अधिकारी ने कहा कि अंतिम रोडमैप को स्वीकृत कराने के लिए हाई लेवल पर भेजे जाने से पहले इन्हें कई बार जांच किया गया था।

20 मार्च को कार्मिक मंत्रालय ने 17 और 19 मार्च को जारी दो ट्रायल ऑर्डर्स में कहा गया कि B और C ग्रुप के कर्मचारियों को अलग-अलग बैच में रोस्टर किया जाए। यह सरकार के भीतर सोशल डिस्टेंसिंग की एक शुरुआत थी। उस नोटिस में सभी सलाहकार, जो निर्णय लेने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं और जिनमें से कई सेवानिवृत्त नौकरशाह हैं।

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60 वर्ष की आयु से ऊपर को घर से काम करने के लिए कहा गया था। सबसे अंत में सभी मंत्रालयों, पीएमओ, राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र, आईटी शाखा को 22 मार्च को नॉर्थ ब्लॉक से बाहर भेज दिया गया। भारत सरकार की अतिरिक्त सचिव सुजाता चतुर्वेदी के हस्ताक्षर से इन नोटिसों पर दस्तखत किए थे। यह प्लान बी था जिसपर आपदा की स्थिति में मोदी सरकार काम करेगी।

प्लान बी से जुड़े विभागों के प्रमुखों से कर्मचारियों का एक रोस्टर तैयार करने को कहा गया। लॉकडाउन के दौरान प्रत्येक विभाग में आवश्यक सेवाएं प्रदान करना जरूरी श्रेणी में रखा गया। इन कर्मचारियों को उन्हें 23 मार्च से 31 मार्च, 2020 तक कार्यालय में अकेले उपस्थित रहने के लिए कहा जा सकता है और उन्हें विपरीत परिस्थितियों में भी काम करना पड़ सकता है।


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