
सुप्रीम कोर्ट।
नई दिल्ली। राजनीति को अपराधियों से मुक्त करने की दिशा में सख्त रुख अख्तियार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को निर्देश दिया है कि वे अपनी वेबसाइट पर चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के क्रिमिनल रिकॉर्ड का ब्योरा दें। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक अहम फैसले में राजनीतिक पार्टियों को अपने उम्मीदवारों के आपराधिक रिकाॅर्ड जनता के साथ साझा करने का आदेश दिया। शीर्ष अदालत का यह आदेश राजनीति के अपराधीकरण के खिलाफ सख्त कदम माना जा रहा है।
इसके अलावा सर्वोच्च न्यायालय ने राजनीतिक दलों को यह आदेश भी दिया कि वे सोशल मीडिया और अखबारों के जरिए यह जानकारी जनता तक पहुंचाएं कि उन्होंने आपराधिक रिकॉर्ड वाले उम्मीदवारों को टिकट क्यों दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दल ऐसे उम्मीदवारों का चयन करने के 74 घंटे के भीतर चुनाव आयोग को सूचित करें। ऐसा करने में विफल रहने पर पोल पैनल को शीर्ष अदालत को सूचित करना होगा।
जस्टिस आरएफ नरीमन और एस रवींद्र भट की पीठ ने आदेश दिया कि साफ छवि वाले उम्मीदवारों के बजाय आपराधिक रिकॉर्ड वालों को टिकट क्यों दिया, राजनीतिक दलों को इसकी वजह बतानी होगी।
बता दें कि हाल ही में संपन्न दिल्ली विधानसभा चुनावों में आपराधिक मामले में शामिल लोगों को सभी पार्टियों ने प्रत्याशी बनाया था। एक अनुमान के मुताबिक आप के करीब आधे विधायकाें पर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
इससे पहले सितंबर, 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि चुनाव लड़ने से पहले प्रत्येक उम्मीदवार अपना आपराधिक रिकॉर्ड निर्वाचन आयोग के समक्ष घोषित करे। साथ ही उसने सभी राजनीतिक दलों से कहा कि वे अपने उम्मीदवारों के संबंध में सभी सूचनाएं अपनी वेबसाइट पर अपलोड करें। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि नागरिकों को अपने उम्मीदवारों का रिकॉर्ड जानने का अधिकार है।
संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से यह फैसला दिया था। इस पीठ में जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस एएम खानविल्कर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा भी शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में विधायिका को निर्देश दिया था कि वह राजनीति को आपराधीकरण से मुक्त कराने के लिए कानून बनाने पर विचार करें।
न्यायालय ने कहा था कि सभी राजनीतिक दलों से जुड़े उम्मीदवारों के रिकॉर्ड का प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से गहन प्रचार किया जाना चाहिए। न्यायालय ने कहा था कि किसी मामले में जानकारी प्राप्त होने के बाद उस पर फैसला लेना लोकतंत्र की नींव है और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का आपराधीकरण चिंतित करने वाला है।
Updated on:
13 Feb 2020 07:20 pm
Published on:
13 Feb 2020 11:26 am
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