
नई दिल्ली। विकास दुबे एनकाउंटर ( Vikas Dubey Encounter ) मामले में सुप्रीम कोर्ट ( Supreme court ) ने मंगलवार को सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले एक आयोग ( commission ) के गठन का संकेत दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि हैदराबाद एनकाउंटर केस ( Hyderabad encounter case ) की तर्ज पर इस मामले में एक आयोग का गठन होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले में 20 जुलाई को सुनवाई ( Hearing on 20 July ) करेगा। माना जा रहा है कि अगली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट आयोग को लेकर कोई आदेश दे सकता है।
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के कानपुर में सीओ के नेतृत्व में एक पुलिस टीम गैंगस्टर विकास दुबे ( Gangster Vikas Dubey ) को गिरफ्तार करने उसके घर पर पहुंची थी। इस दौरान विकास दुबे गैंग ( Vikas Dubey Gang ) ने पुलिस टीम पर हमला कर दिया, जिसमें आठ पुलिस वालों की मौत हो गई थी। वहीं, इसके बाद पुलिस ने विकास दुबे समेत 6 लोगों को एनकाउंटर में मार गिराया था। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर याचिकाएं दाखिल की गई थीं। इन याचिकाओं में उत्तर प्रदेश पुलिस ( Uttar Pradesh Police ) पर निष्पक्ष जांच न करने के आरोप लगाया गया था। इसके साथ ही विकास दुबे के राजनीतिक लोगों से संपर्क की तह तक पहुंचने के लिए CBI, SIT, और NIA को जांच सौंपने जाने की मांग की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट में ये याचिकाएं वकील घनश्याम उपाध्याय, विशाल तिवारी और अनूप प्रकाश अवस्थी की ओर से दायर की थी। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने इन मामलों पर सुनवाई की। इस दौरान तीन सदस्यी बेंच की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस आॅफ इंडिया एसए बोबड़े ने कहा कि वह इस केस में हैदराबाद मामले की तरह एक आयोग का गठन करना चाहते हैं। सीजेआई ने इसके लिए सभी पक्षों से सुझाव मांगें हैं। वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई टालने की मांग की। उन्होंने कहा कि सरकार इस केस में अपना पक्ष रखना चाहती है, जिसके बाद ही कोर्ट कोई फैसला ले। तुषार मेहतर ने दो दिनों के भीतर अपना हलफनाम दाखिल करने की बात कही।
इलाहबाद उच्च न्यायालय ने गैंग्सटर विकास दुबे एनकाउंटर मामले की न्यायिक जांच कराने की मांग वाली एक याचिका खारिज कर दी है। राज्य सरकार ने अदालत से कहा कि इस बाबत पहले ही न्यायिक आयोग गठित कर दिया गया है और एसआईटी विकास दुबे द्वारा 3 जुलाई को 8 पुलिस कर्मियों की हत्या मामले की और 10 जुलाई को उसके एनकाउंटर मामले की जांच करेगी। सरकारी वकील ने कहा कि याचिका बेबुनियाद है। याचिकाकर्ता ने बाद में याचिका वापस ले ली
Updated on:
14 Jul 2020 05:00 pm
Published on:
14 Jul 2020 04:50 pm
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