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#MeToo: अकबर और आलोकनाथ का अब क्या होगा, बचेंगे या चलेगा मुकदमा?

सोशल मीडिया पर चल रहे #MeToo कैंपेन के जरिए महिलाओं ने अकबर और आलोकनाथ पर लगाए हैं यौन शोषण के आरोप।

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#Metoo: अकबर और आलोकनाथ का अब क्या होगा, बचेंगे या चलेगा मुकदमा?

नई दिल्ली। मी-टू के के जरिए यौन शोषण के आरोप में घिरे द टेलीग्राफ के तत्कालीन संपादक एवं वर्तमान में विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। यौन शोषण से जुड़े रोज नए-नए आरोप सामने आ रहे हैं। अब एक विदेशी महिला पत्रकार ने भी उन पर हरासमेंट का आरोप लगाया है। यौन यौन शोषण के मुद्दे पर विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर है और इस्तीफे की मांग कर रहा है। वहीं अकबर अभी भी खामोशी की चादर ओढ़े हुए हैं।

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कानूनी जानकारों का कहना है कि सामान्य तौर पर तो अकबर के खिलाफ आइपीसी के सेक्शन 354 और 509 के तहत आरोपों पर कानूनी कार्रवाई की संभावना न के बराबर है क्योंकि, सीआरपीसी के प्रावधानों के तहत शिकायत की समयसीमा निश्चित है और अकबर के मामले में यह पूरी हो चुकी है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट गजाला वहाब केस के आधार पर शिकायत की समयसीमा में विशेष छूट देकर सुनवाई कर सकता है।

अभिनेता आलोकनाथ पर भी चल सकता है मुकदमा

वहीं, अभिनेता आलोकनाथ के खिलाफ अगर पीड़िता बलात्कार का एफआइआर दर्ज कराती है तो उन पर मुकदमा चल सकता है। हालांकि, मी-टू से जुड़े मामले विशाखा गाइडलाइन (1997-2013) और कार्यस्थल पर महिला यौन उत्पीडऩ रोकथाम अधिनियम-2013 के प्रावधान में समयसीमा में संशोधन की गुंजाइश को दर्शाते हैं।

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शिकायत की समय-सीमा (धारा-468)

- यदि अपराध सिर्फ जुर्माने से दंडित होने वाला है तो 6 माह।
- यदि अपराध एक वर्ष तक की सजा से दंडित होने वाला है तो 1 वर्ष।
- यदि अपराध एक से तीन वर्ष की सजा से दंडित होने वाला है तो 3 वर्ष।
- यदि अपराध तीन वर्ष से अधिक की सजा से दंडित होने वाला है तो कोई समयसीमा नहीं है।


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