
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और चंद्रयान-2 के प्रशंसक इसी दिन का इंतजार कर रहे थे।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने विक्रम के बारे में कोई सूचना देने की उम्मीद जताई है, क्योंकि उसका लूनर रिकनैसैंस ऑर्बिटर (LRO) उसी स्थान के ऊपर से गुजरेगा, जिस स्थान पर भारतीय लैंडर विक्रम के गिरने की संभावना जताई गई है।
आपको बता दें कि यह कोई पहला स्पेस मिशन नहीं है, जो अभी अपनी पूर्ण सफलता के इंतजार है। इससे पहले भी कई ऐसे मिशन रहे हैं जिनको सफलता नहीं मिल पाई। बावजूद इसके वो इतिहास में दर्ज हो गए।
ऐसा एक मिशन था Apollo 13 mission। यह नेशनल एरोनोटिक्स एंड स्पेन एडमिनिस्ट्रेशन ( NASA) का मिशन था। कम ही लोग जानते होंगे 11 अप्रैल 1970 को नासा ने एक मून मिशन लॉंच किया था।
लेकिन यह एक ऐसा मिशन था, जिसने पूरी दुनिया की धड़कनें रोक दीं थी। दरअसल, नासा का यह मिशन चांद के ऊपर तो घूमा, लेकिन उसकी सतह तक पहुंच नहीं पाया।
यही नहीं अंतरिक्ष यात्री चांद की सतह पर उतर भी नहीं सके। मिशन तो असफल रहा, लेकिन मानस पटल पर एक नई कहानी गढ़ गया।
यह अपोलो 13 मिशन 11 अप्रैल 1970 को चांद के लिए रवाना हुआ। जॉन स्विगर्ट मिशन का नेतृत्व कर रहे थे। इस मिशन पर गए यात्री अंतरिक्ष में लगभग 56 घंटे का समय बिता चुके थे, तभी जैक स्विगर्ट ऑक्सीजन टैंक की तस्दीक करने गए।
जिसकी कुछ ही देर बार ऑक्सीजन टैंक में फट गया। यह यान पृथ्वी से लगभग 4 लाख किलोमीटर की दूरी पर था और चांद के बेहद करीब था।
यान में समस्या के कारण अंतरिक्ष यात्री चांद पर लैंड नहीं कर पाए। इसके साथ ही नासा का चांद को लेकर देखा गया यह सपना-सपना रह गया।
वहीं, ऑक्सीजन टैंक 2 बिल्कुल खानी हो चुका था। देखते ही देखते 2 और टैंक फेल हो गए। नासा स्पेस सेंटर को जैसे ही यह मैसेज प्राप्त हुआ, तो सबके हाथ पैर फूल गए। अब अंतरिक्ष यात्रियों के पास केवल 2 घंटे का ही ऑक्सीजन बचा था।
यही नहीं बैट्री बैकअप भी लगभग खत्म हो चुका था। ऐसे में चांद पर उतरना तो दूर पृथ्वी पर वापस लौटने के रास्ते भी न के बराबर ही रह गए थे।
तभी नासा ने अपने इस मिशन को रद्द करने का फैसला लिया और अब तीनों अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी के लिए संघर्ष शुरू हो गया।
इस काम को अंजाम देने के लिए ह्यूसटन स्पेस सेंटर में टोरंटो यूनिवर्सिटी से एक्सपर्ट्स बुलाए गए। अब तक पूरी दुनिया की नजरें इस मिशन पर टिक चुकी थीं।
सभी अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित वापसी का इंतजार कर रहे थे। सब कुछ भगवान के नाम पर था। लेकिन आखिरकार नासा अपने अंतरिक्ष यात्रियों को बचाने में सफल हुआ और उनका मॉड्यूल गिरा।
दक्षिण प्रशांत सागर में गिर। सभी अंतरिक्ष यात्री एकदम सुरक्षित थे।
Updated on:
16 Oct 2019 10:40 am
Published on:
16 Oct 2019 10:33 am
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