
,,
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और चंद्रयान-2 के प्रशंसक इसी दिन का इंतजार कर रहे थे।
अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने विक्रम के बारे में कोई सूचना देने की उम्मीद जताई है, क्योंकि उसका लूनर रिकनैसैंस ऑर्बिटर (LRO) उसी स्थान के ऊपर से गुजरेगा, जिस स्थान पर भारतीय लैंडर विक्रम के गिरने की संभावना जताई गई है।
भारत के इस महत्वपूर्ण मिशन के चलते दुनिया भर के तमाम मून मिशन पर चर्चाएं शुरू हो गईं हैं। इस बीच नासा के मिशन चंद्रयान से जुड़ा एक रोचक किस्सा सामने आया है।
दरअसल, 20 जुलाई 1969 को किसी इंसान ने चांद पर अपना पहला कदम रखा था। यह इतिहास रचने वाला कोई और नहीं अमरीकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रॉन्ग थे।
नील नासा के सबसे अनुभवी और योग्य अंतरिक्ष यात्रियों में थे। नासा के इस मिशन की सफलता नील की हालातों से लड़ने की क्षमता पर निर्भर थी।
हुआ भी ऐसा ही ईंधन कम होने के बावजूद भी नील ने बड़ी सरलता से अपने अंतरिक्ष यान को चंद्रमा पर उतार दिया था।
हालांकि अपने स्पेस मिशन के दौरान नील आर्मस्ट्रॉन्ग दबाव में भी बहुत सामान्य रहते थे। लेकिन इस दौरान जैसे ही वह कमांड मॉड्यूल से अलग होकर चांद पर लूनर मॉड्यूल के साथ उतरे और कंप्यूटर के वॉर्निंग अलार्म बजने शुरू हो तो अचानक उनकी दिल की धड़कनें तेज हो गईं
। लेकिन चांद की सतह पर उतरने के कुछ ही समय बाद वह सामान्य हो गए और सब कुछ उनके नियंत्रण में था।
वहीं, नासा के अपोलो 7 ने अपनी पहली 11 अक्टूबर 1968 को भरी। इसको पृथ्वी की कक्षा के चक्कर लगाने के लिए भेजा गया था।
अपोलो 7 मिशन को नासा के सबसे अनुभवी अंतरिक्षयात्री वैली शिरा कमांड कर रहे थे। जबकि उनका साथ डॉन आइसेल और वाल्ट कनिंघम दे रहे थे।
लेकिन अपोलो 7 की लॉन्चिंग के कुछ समय बाद ही वैली शिरा की तबीयत खराब हो गई। दरअसल, उनको जुकाम हो गया और उनकी नाक बहने लगी।
वाल्ट कनिंघम के अनुसार वैली बार—बार अपनी नाक को साफ कर रहे थे। जिसकी वजह से उनको टिशू पेपर रखने के लिए भी जगह भी खोजनी पड़ रही थी।
पूरे अपोलो कैप्सूल में यूज किए हुए टिशू पेपर ठुंसे पड़े थे। यही नहीं तबीयत खराब होने की वजह से वैली शिरा को थकान महसूस होने लगी और वह चिड़चिड़े हो गए।
इससे नासा के कंट्रोल रूम में हो रही बातचीत प्रभावित हो रही थी।
जुकाम से परेशान वैली शिरा इस कदर गुस्से में थे कि वह नासा कंट्रोल रूम में बैठे लोगों से कई बार उलझ पड़े थे और उनकी बातें मानने से इनकार कर रहे थे।
यहां तक कि एक बार तो उन्होंने गुस्से में अपने बॉस रहे डेक स्लेटन को "भाड़ में जाओ" तक बोल दिया था।
अंतरिक्ष में 11 दिन रहने के वैली समेत तीनों अंतरिक्ष यात्री वापस लौट आए और मिशन पूरी तरह सफल रहा।
Updated on:
20 Oct 2019 12:34 pm
Published on:
20 Oct 2019 12:30 pm
बड़ी खबरें
View Allविश्व की अन्य खबरें
विदेश
ट्रेंडिंग
