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वायरल वीडियो ने खोल दी कोरोना अस्पताल की पोल, बाथरूम की टंकी से पानी पीने काे मजबूर रोगी दरअसल, यह घोर लापरवाही का मामला मुरादाबाद के कांठ रोड स्थित कॉसमॉस हॉस्पिटल का है। जहां मंगलवार को बरेली के रामप्रताप और
मुरादाबाद के ही रहने वाले नासिर की कोरोना संक्रमण से मौत हो गई। अस्पताल स्टाफ की लापरवाही से दोनों के शव बदल गए। वहीं, कोविड-19 गाइडलाइन के तहत पैक किए गए शव को परिजन भी पहचान नहीं सके। रामप्रताप का शव नासिर के परिजन ले गए और चक्कर की मिलक स्थित कब्रिस्तान में दफन कर दिया।
इधर, नासिर का शव रामप्रताप के परिजन श्मशान घाट ले गए। रामप्रताप के परिजनों ने जब देर शाम अंतिम दर्शन के लिए कवर हटाया तो उनके होश उड़ गए। उन्होंने
अस्पताल प्रबंधन पर शव बदले जाने का अरोप लगाते हुए श्मशान घाट पर ही जमकर हंगामा किया। इसके बाद वे अस्पताल पहुंचे और लापरवाही का आरोप लगाते हुए वहां भी हंगाम करना शुरू कर दिया। मामले की जानकारी मिलते ही सिविलि लाइंस पुलिस मौके पर पहुंची और लोगों को शांत किया। इसके बाद मंगलवार देर रात ही रामप्रताप का शव कब्रिस्तान से निकलवाया गया। शवों को उनके परिजनों के सुपुर्द किया गया।
अस्पताल प्रबंधन की घोर लापरवाही का नतीजा रामप्रताप के भतीजे राहुल कुमार ने बताया कि इस प्रकार शव बदला जाना अस्पताल प्रबंधन की घोर लापरवाही का नतीजा है। उन्होंने अंत्येष्टि से पहले अंतिम दर्शन के लिए शव नहीं देखा होता तो हमे कुछ पता ही नहीं चलता। उन्होंने बताया कि मामले में एएसपी ने कार्रवाई का आश्वासन दिया है। वहीं, एएसपी अनिल कुमार यादव का कहना है कि फिलहाल दोनों पक्षों से कोई तहरीर नहीं मिली है। तहरीर मिलने पर केस दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।
अस्पताल की चूक नहीं: डॉ. अनुराग इस संबंध में कॉसमॉस अस्पताल के प्रबंध निदेशक
डॉ. अनुराग अग्रवाल ने कहा कि अस्पताल की कोई गलती है। दोनों मृतकों के परिजनों ने ही शवों की पहचान की थी। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि
कोरोना संक्रमण के कारण परिजनों ने शवों को नजदीक से देखे बगैर ही पहचान की हो, जिस कारण यह गड़बड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि मृतकों के परिजनों के हस्ताक्षर के बाद ही शव उनकों सुपुर्द किए गए थे। इसके बाद शवों को सीएमओ कार्यालय से भेजी गई एंबुलेंस में अंतिम संस्कार के लिए भेजा गया था।