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पत्रिका अभियान: स्वेटर का बजट बढ़ाने की उठी मांग, तय रकम नाकाफी

पब्लिक बोली, सरकार की उदासीनता से बिगड़ सकती है बच्चों की सेहत

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मुरादाबाद. जनपद के 1700 सरकारी स्कूलों में बढ़ने वाले बच्चे सरकार की अनदेखी से ठंड में ठिठुरने को मजबूर हैं। आधी ठंड पीत जाने के बाद भी प्रदेश सरकार अपने वादे को अमली जामा पहनाने में नाकाम साबित हो रही है। हैरानी की बात यह है कि जो काम ? करीब दो महीने पहले हो जाना चाहिए था, वह अभी तक नहीं हो पाया है। पत्रिका ने जब इस मुद्दे पर अभियान चलाया तो देर से ही सही सरकार जागी और 3 जनवरी को आदेश जारी कर जिलों में तैनात बीएसए को जल्द से जल्द बच्चों को स्वेटर उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। लेकिन, सरकार ने प्रति स्वेटर 200 रुपए की जो राशि तय किए हैं। वह काफी कम बताया जा रहा है। स्थानीय शिक्षकों ने शासन स्तर से प्रति स्वेटर 200 रुपए तय किए जाने पर नाराजगी जाहिर की है। शिक्षकों का कहना है कि इतने कम पैसे में अच्छी क्वालिटी का स्वेटर नहीं मिल पायेगा। इसलिए सरकार को बजट बढ़ाना चाहिए।

पत्रिका अभियानः स्कूलों में बच्चों को स्वेटर मिलने में हो रही देरी पर विपक्ष ने सरकार की नीयत पर उठाए सवाल

बीएसए संजय कुमार ने बताया की उन्हें शासनादेश मिल गया है। जनपद में करीब एक लाख साठ हजार बच्चे हैं, जिन्हें अगले एक महीने में स्वेटर वितरित करना है। उन्होंने कहा की उनकी कोशिश होगी की जल्द से जल्द बच्चों को स्वेटर मिल जाएं।

पत्रिका अभियान: अब सरकार ने बेसिक शिक्षा अधिकारी को दिए स्वेटर बांटने के आदेश


वहीं, जब इस मसले पर पत्रिका ने शहर के जागरुक नागरिकों से बात की तो उन्होंने ने भी निराशा जाहिर की। शहर में सामाजिक कार्यों में बढ़चढ़ कर भाग लेने वाले युवा अभिषेक भारद्वाज ने कहा कि वाकई योगी सरकार से ऐसी उम्मीद किसी को नहीं थी। इतनी भीषण ठंड में भी जब जरूरतमंद बच्चों को स्वेटर नहीं मिल पाए हैं तो आखिर कब मिलेंगे। उन्होंने कहा की अब स्थानीय स्तर पर स्वेटर बांटने का जो फैसला हुआ है, वो पहले भी हो सकता था। कम से कम बच्चों को ठंड में स्वेटर तो मिल ही जाना चाहिए था। वही, प्राइवेट यूनिवर्सिटी में अस्सिस्टेंट प्रोफेसर पुलकित शर्मा भी इस मामले में सरकार के रवैये से नाराजगी जाहिर की। उनके मुताबिक ये काम समय से होना चाहिए था, क्यूंकि खुद सरकार ने पहले ही वादा किया था। इन लोगों ने आशंका जताई है कि स्वेटर बांटने में हो रही देरी से बिना स्वेटर स्कूल जाने वाले बच्चों की सेहत बिगड़ सकती है।

पत्रिका अभियानः आधी ठंड बीत गई सरकारी स्कूलों के बच्चों को नहीं मिले स्वेटर

गौरतलह है कि जनपद में 1200 प्राइमरी और 550 जूनियर हाई स्कूल हैं। इन स्कूलों में बच्चों की संख्या डेढ़ से पौने दो लाख के करीब हैं। दरअसल, योगी सरकार ने सत्ता संभालने के बाद यूपी के प्राइमरी स्कूलों का कायाकल्प करने के साथ ही इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए सभी जरूरी सामान मुहैया कराने का वादा किया था। इसी वादे के सहत इस सत्र से सरकार ने बच्चों को स्वेटर भी उपलब्ध कराने का वादा किया था। इसके लिए पहले यूपी सरकार ने प्रत्येक जिले को खुद ही स्वेटर खरीदने की जिम्मेदारी दी थी। इस पर अमल करते हुए स्कूलों ने अपने प्रपोजल जब शासन को भेजे तो उसमें दाम को लेकर काफी भिन्नताएं थी। सरकार एक स्वेटर पर 200 रुपए से ज्यादा खर्च करने को तैयार नहीं थी। लेकिन, कई स्कूलों के प्रपोजल में यह दाम काफी ऊंचा था। इसके बाद सरकार ने खुद ई-टेंडरिंग के जरिए स्कूलों में स्वेटर मुहैया कराने की प्रक्रिया शुरू की। इसके लिए 20 दिसंबर 2017 की डेडलाइन तय की गई। लेकिन, इस पर कोई काम नहीं हो सका। बाद में सरकार ने 25 दिसंबर 2017 की दूसरी डेडलाइन तय की। अफसोस कि इस बार भी सरकार ने गंभीरता नहीं दिखाई, जिससे स्वेटर की खरीदारी का काम अटक गया, जिसका खामियाजा मासूम बच्चे भुगत रहे हैं। अब एक बार फिर से सरकार ने एक आदेश जारी कर जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारी को स्वेटर बांटने के आदेश दिए हैं। लेकिन, अभी तक किसी स्कूल में बच्चों को स्वेटर बांटा नहीं जा सका है।


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