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बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुलिस को फटकारा, समलैंगिक जोड़े को सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश

Bombay High Court: आरोप है कि कर्नाटक में भी पहली याचिकाकर्ता को पुलिस स्टेशन में बुलाया गया और धमकी दी गई कि अगर वह अपने परिवार के साथ वापस नहीं लौटी तो दूसरी याचिकाकर्ता को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

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मुंबई

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Dinesh Dubey

Jul 05, 2023

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15 वर्षीय रेप पीड़िता को नहीं मिली गर्भपात की इजाजत, बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

Maharashtra News: महाराष्ट्र के एक समलैंगिक जोड़े की सुरक्षा से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने पुलिस को फटकार लगाई है। हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद महाराष्ट्र पुलिस समलैंगिक जोड़े को सुरक्षा प्रदान कर रही है। आरोप है कि समलैंगिक जोड़े को एक के परिवार से ही खतरा है।

जस्टिस रेवती मोहिते डेरे (Revati Mohite Dere) ने सुनवाई के दौरान कहा कि पुलिस को ऐसे मामलों में संवेदनशीलता दिखानी चाहिए और सहमति देने वाले वयस्कों के साथ इस तरह का व्यवहार नहीं करना चाहिए। दरअसल याचिकाकर्ताओं में से एक को अपने परिवार के पास वापस जाने के लिए पुलिस ने कथित तौर पर मजबूर किया था। यह भी पढ़े-बॉम्बे HC ने 15 वर्षीय रेप पीड़िता को नहीं दी गर्भपात की इजाजत, कहा- जन्म के बाद बच्चे को गोद दे सकती है मां

कोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार ने आश्वासन दिया कि याचिकाकर्ताओं के लिए एक पुलिस अधिकारी नियुक्त किया जाएगा जिससे वे आपातकालीन स्थिति में संपर्क कर सकेंगी। इस मामले में दूसरी याचिकाकर्ता पेशे से नर्स है. कोर्ट ने पुलिस को उसे (नर्स को) अपने घर से पहचान दस्तावेज लेने के लिए भी सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश दिया।

अपनी याचिका में याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि वे दोनों शिक्षित वयस्क है और एक साथ रहना चाहती है। इनमें से एक की उम्र 28 वर्ष है, जो डबल ग्रेजुएट है तो दूसरी नर्स है। दोनों की दोस्ती ऑनलाइन हुई थी, जो बाद में प्यार में बदल गई।

याचिका के अनुसार, महाराष्ट्र से बाहर रहने वाली 28 वर्षीय याचिकाकर्ता अप्रैल में घर से भाग गई थी और महाराष्ट्र में रहने वाली दूसरी याचिकाकर्ता के घर चली गई। हालांकि दूसरी याचिकाकर्ता के परिवार ने जोड़े को स्वीकार कर लिया। आरोप है कि पहली याचिकाकर्ता को बाद में पुलिस स्टेशन बुलाया गया और उसका बयान 9 घंटे से अधिक समय तक दर्ज किया गया। खतरे को देखते हुए दोनों फिर कर्नाटक चली गयीं।

आरोप है कि कर्नाटक में भी पहली याचिकाकर्ता को पुलिस स्टेशन में बुलाया गया और धमकी दी गई कि अगर वह अपने परिवार के साथ वापस नहीं लौटी तो दूसरी याचिकाकर्ता को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। जिसके बाद पहली याचिकाकर्ता घर लौट गई और उसे हिरासत में ले लिया गया। बाद में मजिस्ट्रेट के सामने गलत बयान देने के लिए उसे मजबूर किया गया।

इसके बाद पहली याचिकाकर्ता ने फिर से अपना घर छोड़ दिया और महिला आयोग को पत्र लिखकर सुरक्षा की मांग की। बाद में दोनों फिर महाराष्ट्र में अज्ञात स्थान पर एकसाथ रहने लगीं। इस दौरान अपनी जान को खतरा होने के कारण उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।