अविनाश ने खेल में करियर बनाने के बारे में नहीं सोचा थे लेकिन आज उन्होंने भारत को स्टीपलचेज में रजत पदक दिलाकर नया इतिहास रच दिया है। अविनाश साबले की कहानी बहुत अलग है। अविनाश ने खुद को कभी स्पोर्ट्स ले जाने के बारे में नहीं सोचा था। सेना में भर्ती होकर वो अपने परिवार की देखभाल करना चाहते थे।
बता दें कि 12वीं कक्षा के बाद अविनाश साबले आर्मी में भर्ती हो गए और 5 महार रेजिमेंट का हिस्सा बन गए। अपनी सर्विस के दौरान वो सियाचिन में माइनस डिग्री में भी रहे, तो रेगिस्तान के इलाकों में 50 डिग्री तापमान में भी खुद को तपाया है। सेना में रहते हुए अविनाश को एथलेटिक्स इवेंट में खेलने का मौका मिला। क्रॉस कंट्री के साथ खेलों में उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की।
इस दौरान अविनाश की प्रतिभा जल्द ही सबके सामने आ गई। चोटिल होने के बाद उनका वजन काफी बढ़ गया था। बजह बढ़ने के बावजूद अविनाश साबले ने वापसी की और 15 किलो से अधिक वजन कम कर फिर से मैदान में लौटे और दौड़ना शुरू कर दिया। साल 2017 में अविनाश साबले के सेना के कोच ने उन्हें स्टीपलचेज में दौड़ने की सलाह दी। इस प्रकार भारत के स्टीपलचेजर की शुरुआत हुई।
साल 2018 में भुवनेश्वर में आयोजित ओपन नेशनल में अविनाश साबले ने 3000 मीटर स्टीपलचेज में 8: 29.88 का समय निकाला और 30 साल के नेशनल रिकॉर्ड को 0.12 सेकेंड से तोड़ दिया। इसके बाद साल 2019 में अविनाश साबले ने पटियाला में आयोजित फेडरेशन कप में 8.28.89 का समय निकाला और नया नेशनल रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज किया।