
अब नहीं बेच सकेंगे म्हाडा के घर, कार्रवाई कर रहा विजिलेंस डिपार्टमेंट
रोहित के. तिवारी
मुंबई. पिछले कई सालों से म्हाडा सर्व सार्वजनिक आम लोगों के लिए किफायती घरों को उपलब्ध करा रहा है। जनता के सपनों को साकार करते हुए म्हाडा ने प्रति वर्ष लॉटरी सिस्टम से कई लोगों के घरों के सपने को साकार किया है। वहीं अगर एक साल भी म्हाडा की ओर से लॉटरी नहीं निकलती है तो आम लोगों की ओर से तरह-तरह के सवाल उठने लगते हैं। जबकि जिनको घर मिल जाते हैं, जल्द से जल्द अधिक कीमत पर उसे दलालों के हाथों बेच दिया जाता है। इसके विपरीत महाडा लॉटरी विजेता को 5 साल तक घर बेचने की कोई अनुमति नहीं होती है। फिर भी लाभार्थी को म्हाडा की ओर से पजेशन मिलते ही पांच साल के अंदर कई लोगों के घर बेचे जाने की घटनाएं उजागर हुई हैं। इन पर म्हाडा अब सख्त पाबंदी लगाने के मूड में है और इसके लिए इस मामले में कार्रवाई की जिम्मेदारी म्हाडा ने विजिलेंस डिपार्टमेंट को सौंपी है। इस कार्रवाई से अब जहां नियमों को ताक पर रखकर घर बेचने वालों की खैर नहीं, वहीं अब दलालों की भी चांदी नहीं हो पाएगी।
जल्द बनाई जाएगी सूची...
बहरहाल, म्हाडा ने जिन्होंने नियम के विरुद्ध जाकर घर बेचा है ऐसे कई लोगों का पता लगाने के लिए विजिलेंस डिपार्टमेंट को जवाबदारी सौंपी है। अब यह जिम्मेदारी विजिलेंस डिपार्टमेंट पर बड़ी है कि वह ऐसे लोगों का पता कैसे लगाएगा। हालांकि इससे पहले भी मिल मजदूरों को लॉटरी से लगे घर 10 साल तक न बेचने का कानून बनाया था, लेकिन उस कानून में थोड़ी शिथिलता बरतते हुए महाडा ने अब उसे घटाकर 5 साल कर दिया है, जिससे म्हाडा की ओर से मिले घरों को लेकर स्थानीय राजनेता नेता, दलाल, बड़े-बड़े आलाधिकारी की चांदी ही चांदी हो गई है। वहीं अब म्हाडा के नए कानून के अनुसार, अब वह पता लगाने में जुटा है कि 5 साल के अंदर किन-किन लोगों ने अपने घरों को बेचा है। इस पर म्हाडा ने विजिलेंस डिपार्टमेंट को यह आदेश दिया है कि वह जल्द से जल्द ऐसे लोगों की सूची बनाकर उसे सौंपे।
म्हाडा गलियारों में जोर-शोर से चर्चा...
मुंबई म्हाडा की ओर से विभिन्न मंडलों को घर दिए जाते हैं। आम जनता को उन्हें उनकी आर्थिक स्थिति को देखते हुए म्हाडा ने कई प्रकार के गृह योजनाओं का आयोजन किया है। उनमें गरीब, मध्यम वर्गीय व उच्च वर्गीय लोगों के लिए घरों का निर्माण किया जाता है और उन्हें लॉटरी सिस्टम से वितरित किया जाता है। घर मिलने के बाद उन्हें 5 साल तक नहीं बेचा जा सकता है। इस शर्त के साथ ही म्हाडा की ओर से उन्हें घर का कब्जा दिया जाता है। फिर भी इस नियम की ओर लोग ध्यान न देते हुए लॉटरी में मिले घरों को बिना किसी नियम-कानून के दलालों को बेच दिया जाता है और इसके पीछे म्हाडा के कई अधिकारियों का हाथ होना भी सामने आ रहा है, ऐसी चर्चा म्हाडा मुख्यालय के गलियारों में जोर-शोर से हो रही है।
किराए पर दे सकते हैं घर...
म्हाडा के घरों को किराए पर तो दिया जा सकता है, लेकिन उन्हें 5 साल से पहले बेचा नहीं जा सकता है। यह कानून दलालों को भलीभांति पता होता है। ऐसी स्थिति में दलाल मौके का फायदा उठाते हुए किराए के कागजात बनाकर किराएदार के रूप में लोगों को रहने के लिए घर दे देते है, जबकि 5 साल पूरे होते ही वही किराएदार उस घर का मालिक बन बैठता है। लेकिन इस बात का यह पता लगाया जाना मुश्किल है कि वह किराएदार है या मालिक। अब म्हाडा इस बात का पता कैसे लगाएगी, इस बात की चर्चा भी हर ओर हो रही है।
Published on:
20 Oct 2019 12:28 pm
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